उत्तर प्रदेश

ब्रेकिंग(लाइफलाइन गौला) अनिश्चितता की ओर बढ़ता गौला खनन सत्र. 57 दिन भी जारी रहा मोटहल्दु में आंदोलन. हजारों लोगों के सामने खड़ा होगा संकट ।।

हल्द्वानी-: उत्तराखंड में राज्य को सबसे अधिक खनिज का राजस्व देने वाली गौला नदी के अस्तित्व पर अब धीरे-धीरे प्रश्न चिन्ह लगता हुआ दिखाई दे रहा है हर वर्ष अक्टूबर माह में चुगान कार्य के लिए खनन सत्र प्रारंभ होने वाली गौला नदी में अभी भी खनन सत्र प्रारंभ नहीं हो पाया है जिसके चलते खनन कार्य से जुड़े हुए वाहन स्वामी गौला संघर्ष समिति के साथ विभिन्न संगठन मोटाहल्दु में टेंट लगाकर गौला नदी से खनन कार्य जल्द प्रारंभ करने की मांग सरकार से कर रहे है रविवार को गौला नदी संघर्ष समिति के द्वारा आंदोलन 57 वे दिन भी जारी रहा जिसके चलते गौला नदी के 12 निकासी गेट इमलीघाट ,लालकुआं, देवरामपुर गेट ,हल्दुचौड ,बेरीपङाव, मोटाहल्दु , गोरापङाव,आंवला चौकी ,इंदिरानगर, राजपुरा एवं शीश महल निकासी गेट जो सबसे अधिक राज्यों को राजस्व आय देता है वह बंद पड़े है ।


गौला संघर्ष समिति के अध्यक्ष जीवन कवड़वाल ने कहा कि अक्टूबर में यूं तो गौला नदी खुल जाती है लेकिन शुरुआत से ही गौला नदी को लेकर सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है सबसे पहले रॉयल्टी का जो मुद्दा था वह पूरे प्रदेश में एक राज्य एक रॉयल्टी के चलते अधर में लटका रहा. गौला नदी में सबसे अधिक रॉयल्टी 33 रूपय जबकि अन्य नदियों में सरकार ने रायल्टी के दम बहुत कम कर रखे थे जिसे फरवरी माह में समान किया जा सका जिसके चलते गौला नदी की निकासी प्रभावित रही. इसके अलावा वाहनो के फिटनेस जो सरकार ने बढ़ा दिए थे वह एक बड़ी समस्या थी जिसके चलते वाहन स्वामियों को बड़ा नुकसान हो रहा था लेकिन सबसे बड़ी समस्या गौला नदी की लीज के विस्तारीकरण को लेकर के थी जो 23 जनवरी को समाप्त हो गई थी लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने स्वीकृति एक माह और बढ़ा दी जिससे अभी भी नदी को खुलने में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है. इन सब के बीच वाहन स्वामियों और स्टोन क्रेशर के मालिकों द्वारा वन उप खनिज की खरीद को लेकर भी अनिश्चितता बनी रही. अब शासन ने एक आदेश क्या जारी किया कि गौला से जुड़े हुए सभी वाहन स्वामी फिर भड़क गए अब आदेश में नदी से ओवरलोड खनन निकासी की अनुमति दी गई है वाहन स्वामियों का कहना है कि सरकार स्टोन क्रेशर स्वामियों के दबाव में काम कर रही है उनका कहना है कि पूर्व की भांति 108 कुंटल पर ही नदी से खनन कार्य की अनुमति दी जाए तभी वाहन गौला नदी में चल सकेगे। वाहन स्वामियों का कहना है कि फिटनेस के रेट कम हो गौला से 108 कुंटल निकासी की अनुमति दी जाए तथा 10 साल की गौला नदी की लीज का विस्तारीकरण किया जाए साथ ही स्टोन क्रेशर स्वामियों द्वारा वाहन स्वामियों को उप खनिज के सही मूल्य दिए जाएं तभी वाहन स्वामी गौला नदी में खनन सत्र प्रारंभ कराने को सहमत होंगे उनका कहना है कि मई तक ही गौला नदी का खनन सत्र रहता है. 24 फरवरी तक लीज निस्तारण का आदेश आता है तो मार्च से ही नदी में खनन प्रारंभ हो सकता है अब मात्र 3 महीने के लिए नदी में चुगान कार्य कराना नुकसान के अलावा कहीं मुनाफे का सौदा नहीं दिखता उनका कहना है कि आरटीओ कार्यालय से गाड़ी रिलीज करने से लेकर सड़क तक आने में करीब एक लाख रुपए का खर्चा आएगा और वाहन यदि 3 माह तक चला भी तो मुनाफा होता हुआ कहीं नहीं दिखाई दे रहा है जिससे यह खनन सत्र घाटे का होता हुआ दिखाई दे रहा है ।

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गौरतलब है कि गौला और नंधौर नदी में 10,000 से अधिक वाहन खनन कार्य करते हैं इतने ही वाहन स्वामी वाहन चालक और परिचालक के अलावा करीब 50,000 श्रमिक जो खनन कार्य में लगे रहते थे उनकी भी अजीविका प्रभावित होती हुई दिखाई दे रही है । कुल मिलाकर यह खनन सत्र अब धीरे-धीरे अनिश्चितता की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है जिससे जहां सरकार को 2 अरब रुपए का नुकसान होगा वही इंश्योरेंस से होने वाली आय. वाहनों के टैक्स. और फिटनेस.रोड टैक्स के साथ-साथ वन विभाग और वन निगम को होने वाली आय के बीच हजारों वाहन स्वामीयो. श्रमिकों.वाहन चालको.वाहन परिचालकों. मोटर मिस्त्रीयो. के सामने भुखमरी का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।

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