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जनरल डायर ने नहीं कायर ने चलवाई थी जलियांवाला बाग में गोली।

अमृतसर


देश ने आजादी के लिए क्या से क्या दिन नहीं देखे मुगल साम्राज्य से लेकर अंग्रेजों​ की गुलामी तक मुक्ति पाने के लिए भारत ने हमेशा संघर्ष करते-करते दुश्मनों से जमकर लोहा लिया।
आजादी की संघर्ष गाथा के बीच​ जालियाँवाला बाग हत्याकांड ने देश की जनता को झझकोर कर रख दिया पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में आज ही के दिन 13 अप्रैल 1919 (बैसाखी के दिन) बाग रक्त से लाल हो गया था। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा में मे जनरल डायर नामक एक कायर अँग्रेज ऑफिसर ने अपने तानाशाही पूर्ण रवैया को लेकर बिना कुछ बात के भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मारे गए जो विश्व इतिहास में अंग्रेजों की कायरता पूर्वक हमले को दर्ज कर गया इस घटना में 2000 से अधिक लोग घायल हुए। अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात कहीं गई है।

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