वर्तमान ग्रीष्मकाल में न्यून आद्रता, उच्च तापमान एवं अनावृष्टि के कारण जनपद नैनीताल के विभिन्न वन प्रभागों में तेजी से फैल रही वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण पाये जाने एवं इसकी रोकथाम हेतु 26 अप्रैल, की सायं जिलाधिकारी द्वारा विभिन्न हितभागी विभागों को अत्यधिक प्रभावित वन प्रभागों यथा- नैनीताल वन प्रभाग, हल्द्वानी वन प्रभाग तथा रामनगर वन प्रभाग को आवश्यक मानवीय एवं अन्य संसाधन उपलब्ध कराने के सााथ-साथ अन्य
सामुदायिक गतिविधियों को युद्धस्तर पर कराते हुए व्यापक जनजागरूकता बढ़ाए जाने के निर्देश
में जिला प्रशासन द्वारा राहत व बचाव कार्यों हेतु नैनीताल, हल्द्वानी व रामनगर वन प्रभागों को 02-02 राजकीय वाहन उपलब्ध करा दिए गए हैं । उक्त वाहनों द्वारा सम्बन्धित वन विभाग की टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों में शीघ्रता पहुंचकर राहत व बचाव कार्य करना भी आरंभ कर दिया गया है। निर्देषों के अनुपालन में जिला पंचायत राज अधिकारी, नैनीताल द्वारा समस्त खण्ड विकास अधिकारियों को अगले 03 दिवसों के भीतर उनके विकास खण्ड की समस्त ग्राम पंचायतों में खुले में कूड़ा न जालाए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव हेतु खुली बैठक आयोजित करने हेतु आदेश जारी कर दिया गया है , इन बैठकों यह प्रस्ताव पारित किया जाएगा कि यदि कोई व्यक्ति खुले में कूड़ा जलाता हुआ पाया जाता है तो उसके विरूद्ध भारतीय वन अधिनियम/पंचायत राज अधिनियम/आपदा प्रबंधन अधिनियम की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत कार्यवाही की जाएगी। जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा समस्त ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को अपने क्षेत्रान्तर्गत बने रहते हुए सम्बन्धित वन क्षेत्राधिकारी से सम्पर्क रखते हुए वनाग्नि रोकथाम हेतु प्रभावी सहयोग प्रदान करने के आदेश दिए गए हैं। जिला युवा कल्याण अधिकारी, नैनीताल द्वारा डीएम के निर्देशों के बाद नैनीताल, हल्द्वानी व रामनगर वन प्रभागों को वनाग्नि नियंत्रण हेतु 50-50 पी॰आर॰डी॰ स्वयंसेवक, कुल 150 स्वयंसेवक उपलब्ध करवा दिए गए हैं ,
इसके अतिरिक्त जिला युवा कल्याण अधिकारी द्वारा ब्लाक कमाण्डर एवं हल्का सरदारों के सहयोग से ग्राम स्तर पर गठित युवक मंगल दल एवं महिला मंगल दलों के माध्यम से जनजागरूकता अभियान जलाए जाने एवं सम्बन्धित वन क्षेत्राधिकारियों को सहयोग प्रदान किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। जिला विकास अधिकारी, नैनीताल द्वारा ग्राम विकास अभिकरण के माध्यम से गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से श्रमदान कर पिरुल एकत्र किये जाने के निर्देश निर्गत किये गये हैं। इस हेतु मार्गों की सूची उपलब्ध कराते हुए मार्गवार कार्ययोजना तैयार की जा रही है । श्रमदान के द्वारा मार्गों के किनारे पड़े पीरूल को एकत्रित कर वन विभाग को उपलब्ध कराए जाने हेतु कहा गया है।