उत्तराखण्ड

बड़ी खबर(उत्तराखंड)अब यह टीम करेगी निजी स्कूलों पर करवाई।।।

देहरादून
शिक्षा विभाग ने उन निजी स्कूलों के संचालन की निगरानी के लिए पांच टीमें बनाने का फैसला किया है जो अपनी फीस बढ़ाते हैं और एनसीईआरटी दिशानिर्देशों का पालन करने के बजाय छात्रों पर महंगी किताबें खरीदने का दबाव डालते हैं। इस संबंध में मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) प्रदीप रावत ने बताया कि यह निर्णय वार्षिक शुल्क वृद्धि के संबंध में अभिभावकों और संबंधित व्यक्तियों से प्राप्त कई शिकायतों के जवाब में किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि कई निजी स्कूल अधिक मुनाफे के चक्कर में अभिभावकों को एनसीईआरटी सामग्री का उपयोग करने के बजाय महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चार सदस्यों वाली प्रत्येक टीम को विभाग द्वारा उल्लिखित 10 मानदंडों के आधार पर जिले के भीतर निजी स्कूलों का निरीक्षण करने का काम सौंपा जाएगा।

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उन्होंने आगे कहा कि निरीक्षण में प्रत्येक टीम को सौंपे गए शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा स्कूल दस्तावेजों और अल्पसंख्यक प्रमाणपत्रों की गहन जांच शामिल होगी। इसके अलावा, निरीक्षण के दौरान छात्रों को यह सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन से भी गुजरना होगा कि उन्हें निर्दिष्ट दुकानों से स्कूल की वर्दी खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है और एनसीईआरटी पुस्तकों के उपयोग की निगरानी अधिकृत टीमों द्वारा की जाएगी। इसके अतिरिक्त, टीम शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत आने वाले स्कूली बच्चों की संख्या के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन समिति की भी जांच करेगी। रावत ने कहा कि यदि कोई स्कूल इन नियमों का अनुपालन नहीं करता पाया जाता है, तो शिक्षा विभाग उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, जिसमें गंभीर मामलों में निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने की संभावना भी शामिल है।

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गौरतलाब है कि कि किताबों की बढ़ी कीमतों को लेकर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य विनोद कपरवान ने पहले इस बात पर जोर दिया था कि शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों के निरीक्षण के लिए एक निगरानी समिति का गठन करना चाहिए और अभिभावकों को गुमराह होकर महंगी किताबें खरीदने से रोकना चाहिए। विशिष्ट पुस्तक विक्रेता जो स्कूलों द्वारा अनिवार्य हैं।

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