पंतनगर-: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपति मुर्मु आज पन्तनगर विष्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। प्रशासनिक भवन स्थित दीक्षांत प्रांगण में आयोजित इस समारोह में अति विषिष्ट अतिथि उत्तराखण्ड के राज्यपाल एवं कुलाधिपति, ले. जनरल गुरमीत सिंह तथा विषेष अतिथि के रूप में रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री उत्तराखण्ड माननीय श्री अजय भट्ट एवं कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री माननीय उत्तराखण्ड श्री गणेष जोषी मंचासीन थी। कार्यक्रम से पूर्व स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों एवं अतिथियों के साथ गु्रप फोटोग्राफी की गयी।
राष्ट्रपति ने कहा कि विष्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों और प्राध्यापकों को बधाई दीं। उन्होंने बताया कि आज पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं की संख्या ज्यादा थी। राष्ट्रपति होने के नाते उन्होंने 50 से अधिक विष्वविद्यालयों में शिरकत की है और वहां भी छात्राओं ने सफलता का परचम लहराया हैं। उन्होंने बताया कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के लिए जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता है जहां इस दिन विद्यार्थियों के परिवार के सदस्य एवं शिक्षक गर्व का अनुभव करते हैं। उन्होंने बताया कि देश का प्रथम विश्वविद्यालय शुरूआत से ही कृषि, अनुसंधान, प्रसार के लिए उत्कृष्टता का केन्द्र बना हुआ है। पन्तनगर विश्विद्यालय का बीज ‘पन्तनगर बीज’ के नाम से विश्व में विख्यात है और कृषि क्षेत्र जुड़े किसान आंख बंद कर विश्स क ते है। उन्होंने बताया कि विशविद्यालय विि न्न फसलों, फलों और सब्जियों के कुल 346 उन्नत किस्मों को प्रस्तुत किया है और दो नस्लों का विकास किया हैै। इस वर्ष दलहनी फसलों में विष्वविद्यालय द्वारा 7 प्रजातियां विकसित की गयी है। प्रजातियों का निरंतर विकास कृषि विकास के लिए आवशक है विशविद्यालय को तीन बार सरदार पटेल उत्कृष्ट कृषि संस्थान अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि विष्वविद्यालय पुस्तकालय में 4 लाख 50 हजार से अधिक पुस्तकें उपलब्ध है और विद्यार्थियों को पुस्तकें खरीदनी नहीं पड़ती तथा उन्हीं पुस्तकों से विद्यार्थियों का अध्ययन-अध्यापन हो जाता है। अध्ययन-अध्यापन डिजिटल रूप में उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि क्लाइमेंट और मृदा की समस्याओं से निपटने के लिए विष्व प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण विष्व इस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मना रहा है। उत्तराखण्ड मोटे अनाज के उत्पादन में अग्रणी राज्य है। विष्वविद्यालय द्वारा कृषि में छिड़काव हेतु ड्रोन का निर्माण किया गया है जो कुछ क्षणों में कई हैक्टेयर भूमि में छिड़काव कर सकता है। इससे किसानों के समय की बचत होगी। इस उपलब्धि के लिए विष्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं को बधाई दी।
माननीय कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि हरित क्रांति जननी, भूमि में माननीय राष्ट्रपति जी की उपस्थिति से न केवल इस विष्वविद्यालय का, बल्कि पूरे उत्तराखण्ड का मान बढ़ा है और उनकी उपस्थिति से, इस दीक्षांत समारोह में दीक्षा प्राप्त करने वाले प्रत्येक छात्र-छात्रा को एक ऐसा हौसला और मार्गदर्षन मिलेगा, जो इनके पूरे जीवन को आलोकित करेगा। उन्होंने पं. पन्त जी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि देष का प्रथम कृषि विष्वविद्यालय पंतनगर विष्वविद्यालय जो वर्ष 1960 मंे उत्तर प्रदेष कृषि विष्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया। इसके उपरांत वर्ष 1972 में विष्वविद्यालय का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी, भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी की स्मृति में गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय किया गया। स्वर्गीय पंत जी ने इस विष्वविद्यालय के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया था, ये उनकी दूरगामी सोच का ही परिणाम है कि आज यह विष्वविद्यालय देष व विदेष में प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में विख्यात है। देष में हरित क्रांति लाने में पन्तनगर विष्वविद्यालय का विषेष योगदान रहा है, जिसके फलस्वरूप हमारा देष फूड ग्रेन प्रोड्क्षन में न सिर्फ आत्मनिर्भर बना है, बल्कि आज हम कृषि उपज के प्रमुख निर्यातकों में से एक हैं। उन्होंने सभी उपाधि प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं, षिक्षकगण और उनके अभिभावकों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई दी तथा कहा कि सभी विद्यार्थी भारत जैसे विविधतापूर्ण एवं गतिषील देष, की विरासत को और अधिक समृद्ध तथा भविष्य को और अधिक सषक्त बनाने में अपना योगदान देंगे। दीक्षांत समारोह केवल एक समारोह मात्र नहीं है, बल्कि यह आपकी उपलब्धियों, ज्ञान और उत्कृष्टता को प्राप्त करने के दृढ़ निष्चय का उत्सव भी है। षिक्षा केवल डिग्री ले लेना ही नहीं हैं, बल्कि यह आत्म ज्ञान की प्राप्ति, सषक्तिकरण एवं परिवर्तन का माध्यम भी है। षिक्षा आपके जीवनयापन का माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह देष के कल्याण के लिए भी बेहद अहम है। विष्वविद्यालय में विद्यार्थियों की बुद्धिमता एवं उनके चरित्र का विकास होता है। इस अवसर पर, मैं यहां की फैकल्टी द्वारा आपके बौद्धिक विकास तथा आपको भाविष्य की चुनौतियों को तैयार करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं है। भविष्य में आने वाली दूसरी हरित क्रांति में इन्फाॅरमेषन टेक्नोलाॅजी एवं आर्टफिशियल इंटेलिजेंस का विषेष योगदान रहेगा। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि विष्वविद्यालय इस क्षेत्र को हमेषा याद करेंगे तथा विष्वविद्यालय के आलू के पराठे एवं फत्तु के समोसे के लिए पुनः यहां आएंगे।
गणेष जोषी ने कहा कि महामहिम जी का आभार व्यक्त करता हूं कि तीन दिनों का समय उत्तराखण्ड में दिया है जो हमारे लिए गौरव की बात हैं। उन्होंने बताया कि दीक्षान्त समारोह में उपाधि पाने में हमारी बेटियों की संख्या अधिक है। उन्होंने बताया कि हमारी बेटियों हर क्षेत्र में देष एवं विदेषों में सर्वोच्च पदों पर असीन है। उत्तराखण्ड में कृषि के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुयी है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी की मुहिम अन्तर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष 2023 को 72 देषों में श्रीअन्न के रूप में मनाया जा रहा है। मोटे अनाज में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक पायी जाती है तथा उनको उगाने में पानी की आवष्यकता कम पड़ती है।
कुलपति डा. मनमोहन सिंह चैहान ने बताया कि आठ वर्षों के बाद पुनः राष्ट्रपति का आर्षीवाद प्राप्त हुआ जोकि एक गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि विष्वविद्यालय द्वारा षिक्षण, शोध व प्रसार के क्षेत्रों में पिछले एक वर्ष में प्राप्त की गयी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने विष्वविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि लैण्ड ग्रान्ट पैटर्न की तर्ज पर अमेरिका के इलिनोय विष्वविद्यालय की सहायता से स्थापित पन्तनगर विष्वविद्यालय ने हरित क्रांति के द्वारा देष में खाद्य सुरक्षा सुनिष्चित करने की दिषा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसके लिए नोबल पुरस्कार विजेता डा. नारमन ई. बोरलाॅग द्वारा हरित क्रांति की जन्म स्थाली के रूम में अलंकृत किया गया।