देवभूमि के नाम से विख्यात उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण आस्था पर पूरी तरह से मंदिरों पर हावी है राज्य में सभी धामों के कपाट बंद होने से पूजा पाठ सीमित दायरे में हो रही है वही धर्म-कर्म कार्य में लगे हुए पुजारियों के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। इसके बावजूद भी मंदिर समूह से जुड़े हुए सभी लोग लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन करते हुए जन जागरूकता अभियान चलाकर जरूरतमंद की सेवा कर रहे हैं।
कैलाश भट्ट/ जागेश्वर धाम
विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम मे
कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर उत्तराखंड के अल्मोडा जिले मे स्थित विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिलिंग जागेश्वर धाम मंदिर समूह के कपाट भी बंद है। अप्रैल माह के बाद यहाँ भगवान जागेश्वर के दर्शन करने वालों की संख्या में भारी भीड़ दिखाई देती थी लेकिन इस बार पूरे विश्व में चल रहे कोरोना महामारी के कारण धाम के कपाट बंद पडे हुये है। जिससे मंदिर प्रबंधन समिति के अलावा यहां के पुजारियों, होटल व्यवसायों, दुकादारों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जागेश्वर धाम के मंदिर हजारों वषॕ पुराने हैं और बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक भी है दुनिया भर से प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां आते थे। जिससे मंदिर पुरोहितो के अलावा होटल व्यवसाय, दुकादारों मंदिर प्रबंधन समिति आदि अनेक लोगों का रोजगार चलता था। गोरतलब है कि इस बार कोरोना वाईरस के चलते मंदिरो के कपाट बंद हो जाने से जागेश्वर धाम मे एकदम सुनसानी छा जाने से पंडितों के अलावा होटल व्यवशाई ,दुकादारों के सामने रोजीरोटी का संकट खडा हो गया है।
जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिती के प्रबंधक भगवान भट्ट ने बताया कि अप्रैल से अगस्त के महीने तक भगवान जागेश्वर, महामत्युंजय व माता पुष्टि देवी आदि मंदिरों मे दर्शन और मुख्य आरती के लिए लाईन लगानी पडती थी जिससे मंदिर के पुजारियों और स्थानीय लोगों का रोजगार चलता था।लेकिन इस दौरान लोकडाउन को मध्यनजर रखते हुए जनहित में भारत सरकार के दिशा निदेशो का पालन करते हुए मंदिर के कपाट बंद होने पर केवल दो तीन बारीदार पुजारी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मंदिर मे भोग पूजा और मुख्य आरती कर रहे हैं।