हल्द्वानी
कुमाऊॅ की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी में खनन व्यवसाय यदि अपनी पुरानी दशा में नहीं आया तो गौला नदी आने वाले समय में पलायन का कारण बन सकती है,वाहन स्वामियों का लगातार हो रहा शोषण तथा सही खनन नीति न होने के चलते पिछले कई वर्षों से खनन व्यवसाय पूरी तरह से पटरी से उतर चुका है आलम यह है कि कभी क्रेशर स्वामी हड़ताल पर रहते हैं तो कभी वाहन स्वामियों को अपने वाहनों के चक्के थामने पड़ते हैं इन सबके बीच अक्टूबर से मई तक चलने वाले इस सत्र में वाहन स्वामी सिर्फ रोड टैक्स, बीमा,फिटनेस,ड्राइवर की तनखा मैं ही उलझ कर रह जाता है रही सही कसर महंगे डीजल ने पूरी कर दी है, हालात ऐसे हैं कि कम आय के चलते करीब 7000 वाहन स्वामियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है पिछले कई वर्षों से चल रही इसी उठापटक के बीच मार्च माह में भी वाहन स्वामी और क्रेशर स्वामी के बीच चल रहा गतिरोध अब और आगे बढ़ गया है। राज्य में सबसे अधिक खनन कार्य को लेकर सबसे अधिक राजस्व आय देने वाली उक्त गौला नदी का अस्तित्व अब इन आंदोलनों के चलते हाशिए पर चल रहा है।
शुक्रवार को मोटाहल्दू स्थित बालाजी स्टोन क्रेशर के बाहर खनन व्यवसाय से जुड़े वाहन स्वामियों का प्रदर्शन बताता है कि हालात अच्छे नहीं है कम रेट को लेकर के खनन व्यवसाई एवं वाहन स्वामी आमने सामने हैं वाहन स्वामियों का कहना है कि आसपास के स्टोन क्रेशर के मुकाबले यहां 2 रुपए तक भाड़ा कम दिया जा रहा है जबकि अन्य क्रेशर स्वामी दो रुपए बढ़ा कर भाड़ा दे रहे हैं।
अपनी मांगों को मनवाने को लेकर आज वाहन स्वामियों ने उक्त क्रशर का बाहर से गेट बंद करके जाम लगा दिया और देर सांय उन्होंने क्रेशर के आगे टेंट लगाकर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया अब टेंट लगने के बाद स्टोन क्रेशर की खरीद व बिक्री भी प्रभावित रहेगी।
गौरतलब है कि अन्य क्रेशर स्वामी खनन व्यवसाय से जुड़े वाहन स्वामियों को 31 रुपया भाड़ा दे रहे हैं जबकि बालाजी स्टोन क्रेशर द्वारा 29 रुपया भाड़ा दिया जा रहा है जो आंदोलन का मुख्य कारण है।