गोपेश्वर-:
जैव विविधता एवं वन्य जीव जंतु संरक्षण को लेकर वन विभाग ने लंबी दूरी की गश्त करते हुए जहां जैव विविधता संरक्षण की ओर एक कदम और आगे बढ़ाया है वही पक्षियों,पेड़-पौधों जड़ी-बूटी तथा वन्य-जीव जंतुओं के प्राकृतिक वास के बारे में भी जानकारी एकत्र कर इस लंबी दूरी गस्त का समापन किया। नौ सदस्यीय टीम के द्वारा 11 सितंबर से 15 सितंबर तक उखीमठ तथा गोपेश्वर रेंज की संयुक्त लंबी दूरी गस्त में अनेक जानकारियां एकत्र कर सांझा की गई।
प्रभागीय वनाधिकारी केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग अमित कंवर का कहना है कि केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण की उखीमठ तथा गोपेश्वर रेंज दुर्लभ वन्य जंतुओं, पक्षियों,पेड़ पौधों, जड़ी बूटियों तथा नैसर्गिक प्राकृतिक सुंदरता के लिए काफी प्रसिद्ध है इस उच्च हिमालई क्षेत्र में हिमालयन पिक्का से लेकर टाइगर तक अपने नैसर्गिक वास का आनंद लेते है वही अपने खूबसूरत बुग्यालों, दुर्लभ जड़ी बूटियों के लिए भी यह क्षेत्र पूरे विश्व में प्रसिद्ध है जिसको देखते हुए समय-समय पर प्राकृतिक धरोहर को सहेजने एवं सवारने के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्र की लंबी दूरी गस्त समय की जरूरत है उन्होंने कहा कि केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण के उखीमठ एवं गोपेश्वर रेंज की संयुक्त लंबी दूरी गस्त में जैव विविधता एवं संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि वन क्षेत्राधिकारी गोपेश्वर रेंज के नेतृत्व में नौ सदस्यीय दल ने मदमहेश्वर, पांडव सेरा, नंदीकुंड, वर्मा बुग्याल, रुद्रनाथ होते हुए वापस स्वर गोपेश्वर पहुंच गया है इस गश्त के दौरान दल द्वारा समुद्र तल से 3380 मीटर ऊंचाई पर पहुंचकर अनेक जानकारियां एकत्र की गई।
वन क्षेत्राधिकारी गोपेश्वर रेंज श्रीमती आरती मैठैणी ने बताया कि नौ सदस्य के दल ने मदमहेश्वर, पांडवसेरा, नंदीकुंड, वर्मा बुग्याल रुद्रनाथ होते हुए दल वापस गोपेश्वर पहुंच गया है इस गश्त के दौरान दल द्वारा समुद्र तल से 3380 मीटर ऊंचाई पर खड़ी चढ़ाई चढ़कर वाइट कैब्ड वाटर रैडस्टाटवर्ड तथा 4000 मीटर पर नर हिमालयन धार, 4080 मीटर पर हिमालयन पिक्का, तथा 3724 मीटर पर चौरांया को देखा गया। इसके अलावा समुद्र तल से 3700 मीटर की ऊंचाई पर हिमालयन काला भालू, 3777 मीटर पर हिम तेंदुआ,तथा 3846 मीटर पर कस्तूरी मृग की उपस्थिति टीम ने रिपोर्ट की। इसके अलावा गश्ती दल के द्वारा वन्य जीवो के प्राकृतिक वास तथा विभिन्न दुर्लभ जड़ी बूटियों व पुष्पन के पैटर्न का
भी अध्ययन किया इस उच्च हिमालयी क्षेत्र के संरक्षण को देखते हुए न्यूनतम मानवीय प्रवेश दखल की आवश्यकता पर जोर देते हुए गश्ती दल ने जगह-जगह लोगों को जागरूक भी किया। इस दौरान दल के सदस्य वन दरोगा कुलदीप नेगी ने नंदीकुंड ग्लेशियर ताल के चारों ओर जीपीएस माध्यम से क्षेत्रफल का मापन भी किया गया इसके अतिरिक्त गश्ती दल द्वारा मौसम के दौरान वन्यजीवों की दिनचर्या को भी आपस में सांझा किया गया गस्ती दल में वन दरोगा रमेश चंद भंडारी, कुलदीप नेगी,जीत सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह रावत, जगमोहन सिंह,अशोक सिंह तथा सुनील आदि उपस्थित थे।