देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन सफल:CG में 106 घंटे से 60 फीट नीचे बोरवेल में फंसे राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला, अपोलो अस्पताल भेजा
जांजगीर छत्तीसगढ़
पांच दिन से चल रहा था NDRF, सेना और कई संगठनों का बचाव अभियान शुक्रवार दोपहर 2 बजे बोरवेल में गिरा था, मंगलवार रात 12 बजे बाहर निकाला छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में फंसे हुए राहुल को करीब पांच दिन मतलब पूरे 106 घंटे बाद बोरवेल के गड्ढे से बाहर निकाल लिया गया। पांच दिन तक जिला प्रशासन, पुलिस से लेकर NDRF, सेना, SDRF सहित कई सुरक्षा संस्थानों के सैकड़ों लोग राहुल के रेस्क्यू के लिए दिन-रात प्रयास कर रहे थे। इस तरह का ये देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बताया जा रहा है।इन पांच दिनों में राहुल की सतत निगरानी सीसीटीवी कैमरे से की जा रही थी। उसे भोजन-पानी दिया जा रहा था। उसका हौसला बनाए रखने के लिए लगातार उससे बात की जा रही थी। पांच दिन तक 60 फीट नीचे दबे रहने के कारण और गड्ढे में पानी भरे होने के कारण उसकी हालत गंभीर है। उसे बाहर लाते ही एंबुलेंस से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल भेजा गया। जांजगीर कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला ने भास्कर को बताया कि राहुल की स्थिति ठीक है। उसका मूवमेंट कम है, लेकिन वह इशारे कर रहा है।इससे पहले सेना के जवानों ने पूरे रेस्क्यू की कमान अपने हाथ में ले ली थी। जवान ही टनल के जरिए पहले बोरवेल के गड्ढे तक और फिर राहुल तक पहुंचे। राहुल के अंदर होने के कारण रास्ते की चट्टानों को ड्रिलिंग मशीन से ना काटकर हाथों से तोड़ा गया, फिर अंदर की मिट्टी हटाई गई। ऐसा करते-करते जवान राहुल तक पहुंचे। इसके बाद रस्सी और स्ट्रैचर के सहारे खींचकर राहुल को बाहर लाया गया। उसकी गंभीर हालत को देखते हुए पहले से ही एंबुलेंस, विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम, दूसरे मेडिकल उपकरण सभी कुछ तैयार था। टनल से एंबुलेंस तक कॉरीडोर बनाया गया था और राहुल को स्ट्रैचर के जरिए ही सीधे एंबुलेंस तक लाया गया और रवाना कर दिया गया।
CM ने किया ट्विट।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया ट्विट
इस पूरे अभियान पर पहले घंटे से नजर रख रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल के दिखते ही ट्विट किया है। उन्होंने कहा कि राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन के खत्म होने का समय आ गया है। जांजगीर से सूचना आ रही है कि चट्टानों को हटाने के बाद अब बचाव दल बोरवेल तक पहुंच गया है और राहुल नजर आने लगा है।
SDRF के जवान स्ट्रेचर लेकर नीचे उतर गए हैं।
112 किलोमीटर दूर है अपोलो अस्पताल
राहुल को बोरवेल से निकालते ही एंबुलेंस से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाया जाएगा। उसके गांव से बिलासपुर की दूरी करीब 112 किलोमीटर है। वैसे तो इस दूरी को तय करने में करीब तीन घंटे लगते, लेकिन प्रशासन ने इस रास्ते को ग्रीन कॉरीडोर में बदल दिया है, लिहाजा माना जा रहा है कि राहुल को डेढ़-पौने दो घंटे के समय में अपोलो अस्पताल पहुंचा दिया जाएगा। उसका इलाज रास्ते में एंबुलेंस में ही विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम करने लगेगी।
ऐसे पहुंची टीम
सेना की ओर से बताया गया है कि NDRF जवानों को आराम देने के लिए जवानों ने कमान संभाली थी। यह एक ज्वाइंट ऑपरेशन है और इसमें ऐसा ही किया जाता है। सवाल यहां बच्चे की जिंदगी का था, ऐसे में चट्टान तोड़ने के लिए सख्त रुख नहीं अपना सकते थे। राहुल की लोकेशन का अंदाजा लगाकर अब चट्टान तोड़ने के बाद सेना के जवान हाथों से मिट्टी निकाल रहे थे और कोहनी के सहारे आगे बढ़ रहे थे। धीरे-धीरे मिट्टी हटाते-हटाते आखिरकार वह क्षण आ ही गया जब बनाई गयी टनल बोरवेल से मिल गई। वहां पहली बार अंदर चट्टान के हिस्से पर सोए राहुल की पहली झलक सेना के जवानों को मिली। वहां से बाहर जानकारी दी गई और बाहर जमा भीड़ भारतमाता की जय के नारे लगाने लगी।
टनल में NDRF को हटाकर अब सेना के जवान उतर रहे हैं।
इससे पहले उसके मूवमेंट का एक नया वीडियो अभी सामने आया था। इसमें राहुल सिर उठाता हुआ और रिस्पॉन्स देता दिखाई दे रहा था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से भी ट्वीट कर कहा गया था कि सबकी दुआएं मासूम राहुल के साथ हैं। अभी इशारों में राहुल ने कुछ खाने की मांग की थी। रेस्क्यू अभियान जारी है। चट्टानों से भी मज़बूत इस मासूम बालक के साहस को सलाम है।
टनल की ओर भारी संख्या में जवान मौजूद हैं।कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि वह एक बहुत बड़ी सी चट्टान है। उसी पर राहुल बैठा हुआ है। हम उसी चट्टान को साइड से काटने का प्रयास कर रहे थे। वह चट्टान बहुत मजबूत है। राहुल को खाने को दे रहे हैं, लेकिन वह ले नहीं रहा। कल की तरह एक्टिव नहीं है। इसलिए प्रयास है कि साइड से कहीं जगह बनाकर उसके लिए खाने-पीने का इंतजाम पहले कर सकें।सुरंग में काम जारी है, पर फिर एक चट्टान ने रास्ता रोक लिया था।
कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि सर्जन का कहना है कि राहुल की सांस की गति सामान्य है।वहीं उसकी सेहत और सलामती के लिए प्रदेश भर में पूजा-अर्चना का दौर जारी है। बलौदा बाजार में राहुल के लिए गायत्री परिवार की ओर से हवन-पूजन किया जा रहा है। साथ ही दीर्घायु होने की कामना के लिए महामृत्युंजय जाप भी चल रहा है।
बताया गया कि राहुल और जवानों के बीच में बड़े पत्थर हैं। ऐसे में राहुल से दूरी महज 8 इंच है, उसे साइड से निकालने के चलते दूरी डेढ़ फीट बढ़ गई है। टनल के अंदर लाइम स्टोन होने के कारण समय लग रहा था। उसे तोड़कर आगे बढ़े तो फिर एक चट्टान ने रास्ता रोक लिया है।
एंगल बदलकर अब टनल के अंदर खुदाई की जा रही है।
NDRF अफसर चोटिल
इस दौरान राहुल तक पहुंचने के लिए टनल बनाने के काम में लगे NDRF के कमांड इन चीफ वर्धमान मिश्रा चोटिल हो गए हैं। डॉक्टर ने मौके पर उनका उपचार किया और वे फिर से काम में लग गए हैं। वर्धमान मिश्रा के ऊपर ही ऑपरेशन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि काम किसी हालत में रुकना नहीं चाहिए।
वहीं दूसरी ओर राहुल के नजदीक अब NDRF की टीम पहुंचती जा रही है। महज 2 से ढाई फीट की दूरी रह गई है। उसे बाहर निकालने के लिए खुदाई का एंगल थोड़ा बदला गया है। जिससे उसे चोट न लगे। बल्ली ले जाकर एक स्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है। इसके साथ ही वाइब्रेटर से राहुल के नीचे के पत्थर को चिकना बनाया जा रहा है। जिससे उसको बाहर निकालने के दौरान चोट न लगे।
बोरवेल में VLC डालकर ट्रेस करने की तैयारी कर रहे हैं NDRF के जवान।
VLC से ट्रैक कर रहे राहुल को
राहुल की सही लोकेशन ट्रेस करने के लिए VLC ( विक्टिम लोकेशन कैमरा) का इस्तेमाल किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसके लिए दीवार में एक बड़ा सा छेद किया गया है। इसी के सहारे कैमरे को अंदर डाला गया। इस विशेष कैमरे से दीवार या चट्टानों के उस पार से आने वाली आवाजों को आसानी से सुना जा सकता है। कैमरे से आवाज सुनकर रेस्क्यू को आसान बनाया जाएगा। जवान इस VLC कैमरे की जांच कर आवश्यक तैयारी कर रहे हैं।
इससे पहले जवानों ने वायब्रेटर का इस्तेमाल किया था। वहीं राहुल की हालत फिलहाल ठीक नहीं है। उसे सुबह फ्रूटी पीने के लिए दी गई, पर उसने नहीं लिया। हालांकि प्रशासन का कहना है कि राहुल की हालत डल जरूर है, पर ठीक है। हम उसकी आवाज सुन पा रहे हैं। इस बीच कलेक्टर भी टनल देखने के लिए मौके पर पहुंचे। वहां से मलबा हटाने का काम किया जा रहा है।