पंतनगर: विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय चारा समन्वित शोध परियोजना पंतनगर इकाई के द्वारा आज चारा ब्लाक, शैक्षणिक डेरी फार्म नगला में खरीफ चारा दिवस का आयोजन किया गया। चारा दिवस मनाने का मुख्य उद्देष्य पशुपालकों को गुणवत्तापूर्ण हरे एवं सूखे चारे के बारे में अवगत कराना था, जिससे कि पशुपालक अपने पशुओं में पशु पोषण का समुचित प्रवंधन कर दुधारु पशुओं से अधिकतम दूध उत्पादन प्राप्त कर सके।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक शोध ने पशुपालकों को कृषि विविधिकरण को अपनाते हुए बदल-बदल कर चारा बोने की बात कही। परियोजना समन्वयक, डा. महेन्द्र सिंह पाल ने सभी वैज्ञानिकों, निदेशकों एवं किसानों का स्वागत करते हुए खरीफ में उगायी जाने वाली चारा फसलों जैसे मक्का व चरी, ग्वार, राईसवीन उत्पादन तकनीक व सस्य क्रियाओं का विस्तार से बताया। परियोजनाधिकारी, डा. वीरेन्द्र प्रसाद ने खरीफ में चारे के रूप में उगायी जाने वाली लोबिया की उन्नत खेती, भारत में पशुपालन की महत्ता एवं उसकी आर्थिकी के बारे में बताया। अखिल भारतीय मक्का शोध परियोजना समन्वयक, डा. राजेश प्रताप सिंह ने मक्के को भूट्टे के साथ-साथ हरे चारे का उपयोग कैसे करें ताकि मक्का की खेती अत्यधिक लाभकारी हो सके की बात कही। वरिष्ठ मक्का प्रजनक, डा. नरेन्द्र कुमार सिंह ने मक्का फसल की उपयोगिता चारे के रुप में करने के साथ-साथ उन्ही के द्वारा नई विकसित चारा की संकर प्रजाति डीएफएच-2 के गुणों के बारे में विस्तार से बताया। सह निदेशक, शैक्षणिक डेयरी फार्म, नगला, डा. बी.एन. शाही ने बताया कि किसी भी पशुनस्ल की अधिकत्म उत्पादन का 70 प्रतिशत भाग पशुचारा व प्रबंधन की सहभागिता होती है, जिसमें करीब 50 प्रतिशत अनुवांशिक क्षमता का उपयोग पशुपोषण को जाता है।
कार्यक्रम के अंत में डा वीरेन्द्र प्रसाद ने सभी निदेषकों, वैज्ञानिकों एवं पषुपालकों, षोध छा़त्रों तथा अन्य सभी सहयोगियों का चारा दिवस पर सफल आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। सभा में डा. डी.के. षुक्ल, डा. क्रान्ति कुमार, डा. एस.के. जैन, डा. शिव जी सिंह, डा. यू.बी.एस. पवार, एवं 50 कृषक उपस्थित थे। कार्यक्रम में कृषकों को चारा खरीफ फसलों पर किए जा रहे अनुसंधानों के प्रदर्शन क्षेत्र का भ्रमण कराया गया