हल्द्वानी
मानसून सीजन प्रारंभ होने के साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जाने लगी है। तथा विभिन्न प्रजातियों के पौधों के रोपण की तैयारी पर्यावरण संरक्षण के लिए होने लगी है।इस बार भी सत्रह जून को गुलमोहर दिवस पेड़ों के रोपण के साथ मनाया जाएगा।गुलमोहर वूमेन के नाम से फेमस तनुजा जोशी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि इस बार पौधे लगाने के काम की तैयारी में कुछ कमी आई है।नोवल कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण के चलते हम लोग दूसरे जरूरी राशन बांटने इत्यादि के कामों में लगे हुए थे।तथा ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से पौधे भी नहीं आ रहे थे।लेकिन अब लाकडाउन खुल गया है हमें सावधानी के साथ पौधे भी रोपण करना है।तथा हर वर्ष की तरह गुलमोहर दिवस 17 जून के अवसर पर पेड़ों का रोपण होगा।उन्होंने हल्द्वानी वासियों से आग्रह किया कि पौधे लगाने के लिए उचित स्थान हो तो जरूर बताएं जिससे हम अपने शहर को सुंदर और हरा-भरा बनाए रख सके। प्रथम चरण में करीब एक हजार गुलमोहर पेड़ों को लगाने का लक्ष्य है।
मुख्य वन संरक्षक डॉ पराग मधुकर धकाते ने बताया कि यह भारत में बाहर से आई हुई प्रजाति है तथा उत्तराखंड में तराई भाबर मैं इसको बहुतायत में देखा जा सकता है स्वर्ग के फूल के नाम से विख्यात गुलमोहर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सड़कों के दोनों तरफ सौंदर्य बढ़ाने का काम भी करता है गर्म एवं नमी वाले स्थानो में लगाए जाने वाला यह पेड़ अप्रैल से लेकर नवंबर तक फूलों से लकदक रहकर सुंदरता में चार चांद लगाते हुए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है ।मध्य भारत में लोग इसके पुष्प की सब्जी बनाकर के भी खाते हैं।
राज आभरण के नाम से विख्यात इस पुष्प का महत्व वैदिक काल से चला आ रहा है भगवान श्री कृष्ण के मुकुट के साथ प्रतिमा के श्रंगार में भी यह पुष्प नैसर्गिक सुंदरता को बढ़ाने वाला है।तथा यह वृक्ष अनायास अपनी और आकर्षित कर मन को संतुष्ट करता है