कोविड-19 संक्रमण के देश में फैलने के साथ लोगों ने अपनी दिनचर्या भी बदलनी प्रारंभ कर दी है, सामाजिक दूरी हो या रहन सहन या फिर खानपान कोरोना संक्रमण के चलते लोगों की जीवन शैली में भी काफी बदलाव आ रहा है कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए लोग अधिक जागरूक होकर अब आवश्यकता के अनुसार अपनी डिमांड कर रहे हैं। इसको देखते हुए सरकार आम लोगों की जरूरत के हिसाब से सहूलियत देने के विकल्पों पर विचार कर रही है।
रेलवे ने कोरोना वायरस रोकने के लिए कम संख्या में यात्री ट्रेन को चलाया है। उनमें खानपान एवं पेय पदार्थों जो ट्रेन चल रही है उनमे दूध वाली चाय के बजाए काढ़ा की मांग कर रहे है। काढ़ा नहीं होने की स्थिति में अपने साथ लेकर चल रहे काढ़ा से लेकर तुलसी को चाय में मिलाकर देने की बात कह रहे है। इसके बाद अब पेंट्रीकार संचालक भी काढ़ा साथ लेकर चलने लग गए है
पश्चिम रेलवे से रतलाम होकर निकलने वाली यात्री ट्रेनों में यात्रियों की काढ़ा की मांग से रेलवे परेशान हो गया है, हालांकि स्वास्थ्य के प्रति इस सतर्कता को पसंद किया जाने लगा है। रेलवे के अनुसार जल्दी ही वो काढ़ा देने पर विचार कर सकती है। कुछ ट्रेन के पेंट्रीकार में रेडिमेड काढ़ा देना शुरू कर दिया गया है। मुंबई से लेकर दिल्ली तक चलने वाली राजधानी ट्रेन, अमृतसर से चलकर मुंबई सेंट्रल तक चलने वाली गोल्डन टेंपलमेल हो या पश्चिम एक्सपे्रस ट्रेन या फिर मुजफ्फरपुर व गौरखपुर से चलकर बांद्रा तक चलने वाली अवध ट्रेन, इनमे प्रतिदिन करीब 700 से 900 यात्री काढ़ा की मांग कर रहे है। इन ट्रेन में दूधवाली चाय की बिक्री घटकर 75 से 100 यात्री पर आकर ठहर गई है।