उत्तराखण्ड

बिग ब्रेकिंग–:टिड्डी दल के आक्रमण से रहे सतर्क पंतनगर के वैज्ञानिकों ने सुझाए हैं उपाय, करें इस दवा का छिड़काव।

टिड्डी दल के आक्रमण से रहे सतर्क पंतनगर के वैज्ञानिकों ने सुझाए हैं उपाय।

पंतनगर
देश के पश्चिमी राज्यों जैसे राजस्थान, पंजाब व हरियाणा में टिड्डी दलों के प्रकोप तथा इन राज्यों की सीमा से सटे राज्य, उत्तर प्रदेश, में भी टिड्डी दल का लाखों की संख्या में प्रवेश को देखते हुए पंतनगर के वैज्ञानिकों ने उत्तराखण्ड के जनपदों (मैदानी व पहाड़ी) में गन्ना, मक्का व सब्जियों की फसलों पर इन दलों का प्रकोप की संभावना व्यक्त की है। पौड़ी जनपद के कुछ किसानों से टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना मिली है, जिनकी संख्या बहुत कम है। सम्भवतः तेज गति की आंधी के कारण ये पौड़ी जिले के पहाड़ी क्षेत्र में प्रवेश कर गये हैं। अतः वैज्ञानिकों ने समस्त जिलों के किसानों तथा कृषि विभाग के कर्मचारियों को इनके आक्रमण से सतर्क रहने को कहा है।

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प्रतीकात्मक फोटो


पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा टिड्डी दल की उत्तराखण्ड में निगरानी हेतु गठित समिति के अध्यक्ष, डा. एस.एन. तिवारी, ने बताया कि टिड्डी दल लाखों की संख्या में पाकिस्तान से भारत में दाखिल हुए और ये दल उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसानों की फसलों को नुकसान पहुँचा चुके हैं। शनिवार को टिड्डी दल दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर सक्रिय था परन्तु दिल्ली में पूरी तरह से प्रवेश नहीं कर पाया। उत्तर प्रदेश के हाथरस, बदायूँ, अलीगढ़, अमेठी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, झांसी, मऊ, आजमगढ़, महराजगंज व चित्रकूट क्षेत्र टिड्डी दल के आक्रमण से प्रभावित हैं।
डा. तिवारी के अनुसार टिड्डियां एक समय में अत्यधिक मात्रा में वनस्पतियों का भक्षण करती हैं तथा मार्ग में आने वाली लगभग समस्त वनस्पतियों का भक्षण करती हैं। इनके आक्रमण से किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। उन्होंने बताया कि इससे बचाव हेतु टिड्डी दलों के दिखाई देने पर उनको फसलों पर उतरने से रोकने के लिए किसानों को अत्यधिक शोर करने (ड्रम व टिन बजाकर) तथा खेत में धुआँ करने की सलाह दी। साथ ही किसानों द्वारा इन टिड्डी दलों के फसलों पर नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफाॅस 20 ई.सी. का 2.4 मि.ली. प्रति ली. या क्लोरपाइरीफाॅस 50 ई.सी. का 1.0 मि.ली. प्रति ली. या डेल्टामेथ्रिन 2.8 ई.सी. का 1.0 मि.ली. प्रति ली. या फिप्रोनिल 5 एस.सी. का 0.25 मि.ली. प्रति ली. या फिप्रोनिल 2.92 एस.सी. का 0.45 मि.ली. प्रति ली. या लैम्ब्डा साइहैलोथ्रिन 5 ई.सी.का 1.0 मि.ली. प्रति ली. या लैम्ब्डा साइहैलोथ्रिन 10 डब्ल्यू.पी. का 0.5 ग्राम प्रति ली. या मैलाथियान 50 ई.सी. का 3.7 मि.ली. प्रति ली. या मैलाथियान 25 डब्ल्यू.पी. का 7.4 ग्राम प्रति ली. की दर से प्रतिबन्धात्मक अथवा रात्रि से सुबह तक टिड्डी दलों के प्रवासों पर गहन छिड़काव की संस्तुति की गयी है, ताकि टिड्डी दल को उसके प्रवास स्थल पर ही समाप्त किया जा सके।
डा. तिवारी ने बताया कि किसानों को अगर उनके क्षेत्र में कहीं पर टिड्डी दल का प्रकोप दिखता है तो उन्हें कृषि निदेशालय, उत्तराखण्ड के फोन नं. 18001800011 पर अथवा उस जिले के मुख्य कृषि अधिकारी को तत्काल सूचित करना चाहिए।

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