उत्तराखण्ड

बड़ी खबर–: लाल कुआं क्षेत्र का लाल कटनी मध्य प्रदेश में खेती को दे रहा है बढ़ावा ।

उत्तराखंड सिटी न्यूज़ डॉट कॉम टीम

हल्द्वानी
पहाड़ का एक उच्च शिक्षित युवक मध्य प्रदेश में कृषि, बागवानी एवं वानिकी के क्षेत्र मे योगदान दे रहा है। जहां वह ऊसर तथा मरुस्थली बंजर धरती को खेती योग्य बनाने के साथ ही चंदन का वृक्षारोपण व फल उत्पादन कर स्थानीय कृषकों को भी बढ़ावा दे रहा है। 


नैनीताल जनपद में लालकुआं तहसील क्षेत्र निवासी इस परिश्रमी युवक ने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्याल से कृषि विज्ञान में एमएससी की डिग्री हासिल करने के बाद दिल्ली में एक बड़ी सरकारी कंपनी इंडिया पोटाश लिमिटेड में बतौर मैनेजर अपने कैरियर की शुरुआत की। इनकी पहली पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद के ऐसे क्षेत्र में हुई जहां की जमीन अनुपजाऊ और ऊसर क्षेत्र के रूप में जानी जाती थी।

इन्होंने उस क्षेत्र के किसानों को जल संरक्षण की उन्नत तकनीकी जानकारियां देकर ऊसर जमीन को उपजाऊ बनाने में मदद की।
इसके बाद अनेक पड़ाव पार कर यह पर्वत-पुत्र आज मध्य प्रदेश के कटनी को मुख्यालय बनाकर आसपास के जिलों में कृषि, बागवानी एवं वानिकी के क्षेत्र में किसानों की मदद करने में अहम योगदान दे रहा है। वहां इन्होंने स्वयं भी ऐसी ऊसर व मरुभूमि को खेती योग्य बनाया जिस पर कोई हाथ लगाने को तैयार नहीं था। आज वह इलाका जल संरक्षण की तकनीक से न सिर्फ हरा-भरा हो गया है, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने का उदाहरण बन गया है।

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मध्य प्रदेश के प्रगतिशील किसान इस उत्तराखंडी बेटे के मार्फत आधुनिक पद्धति से कृषि, वानिकी व फलोत्पादन के आधुनिक तरीकों तथा विपणन व्यवस्था के अनुभवों का लाभ उठाकर अधिक आय भी अर्जित कर रहे हैं। इन्होंने करीब 1200 एकड़ क्षेत्र में चंदन का वृक्षारोपण व तरह-तरह के फलों का उत्पादन कर स्थानीय कृषकों को इस दिशा में काम करने के लिए उत्साहित किया है। जिसका सीधा सकारात्मक प्रभाव उनकी आर्थिकी पर पड़ा है।


आज हम आपको मिलवाते हैं लालकुआं तहसील के हल्दूचौड़ निवासी श्री दान सिंह बिष्ट के होनहार पुत्र मोहन सिंह बिष्ट से। उत्तराखंड सिटी न्यूज़ डॉट कॉम  ने आज इनसे लंबी बात की तो इन्होंने कहा कि पिताजी वन विभाग में अधिकारी थे, तो उनके साथ जंगलों में वन चौकी में रहने के दौरान वनों तथा वन्यजीवन का अनुभव मिला। प्रारंभिक शिक्षा लालकुआं जैसे एक छोटे से कस्बे में हुई। फिर पंतनगर विश्वविद्यालय में प्रवेश मिला। वहां से 1990 में कृषि विज्ञान में एमएससी की डिग्री हासिल की। उसके बाद भारत सरकार की एक बड़ी कंपनी इंडिया पोटाश लिमिटेड में पहली पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद में हुई। वहां की जमीन खेती के लिए अनुपजाऊ और ऊसर थी। हमने वहां के किसानों के बीच रहकर उनका बहुत कठिनाइयों से भरा जीवन-संघर्ष और उनकी जिजीविषा को महसूस किया। वह अनुभव हमारे लिए बड़ा ही कीमती रहा। 
फिर एक अन्य कंपनी में उच्च अधिकारी के रूप में किसानों की तरक्की के लिए काम करने के बाद दिल्ली-नोयडा की एक बड़ी कंपनी ज्वाइन की। उस दौर में देश के उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब में किसानों के बीच जल-संरक्षण, आधुनिक कृषि तकनीक, बीज आदि के क्षेत्र में बहुत काम किया। इस सिलसिले में दूरस्थ व पिछड़े इलाके के किसानों को इन बातों का गहन प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से आजकल मध्य प्रदेश के कटनी को अपना मुख्यालय बनाया है। हमनेआज कृषि तकनीकों में उन्नत करीब 31 देशों से प्रशिक्षण लेकर इस नर्सरी को हाईटेक बनाकर यहांं चंदन ,चंदन नर्सरी, ब्लूबेरी ,तरबूज, संतरा, मिर्च, अनार एवं आंवला का बड़ा कृषि कार्य कर इस मरुस्थल रही जमीन को अपनी मेहनत एवं लगन एवं कर्मचारियों की अथक मेहनत भरे सहयोग से इसको हरा भरा एवं पूरी तरह से उपजाऊ बना दिया है जिसको मौके पर भी आकर देखा जा सकता है।

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मोहन सिंह बिष्ट का कहना है कि उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों व सीमांत क्षेत्रों में फलों की पट्टियां विकसित कर तथा आधुनिक तरीकों से खेती करने से पलायन रोकने में काफी हद तक सफलता मिल सकती है। उन्होंने कहा कि वे उत्तराखंड में आकर यहां के किसानों के साथ अपने अनुभव साझा करके कृषि क्षेत्र में बढ़ावा देने का प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने पर्वतीय युवाओं का आह्वान किया है कि वे इस तरह के प्रयोग करें जिससे उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र में भी फसलों का लहलहाना प्रारंभ हो जाए। 

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9205787117.

मेरे गृह राज्य के उद्धमियों से अनुरोध है कि अगर उन्हें लगता है कि हम कुछ करने में सफल हुए हैं एवं इस पर कुछ चर्चा की जा सकती है ,तो मेरा संपर्क सूत्र उपर दिया गया है।

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