समुदायिक संगठन से जुड़ी महिलाओं का आत्मविश्वास भरा कदम, भारत से लेकर के लंदन तक हो रही है इनकी चर्चा, कैंब्रिज विश्वविद्यालय की वेबसाइट में छपे लेख के बाद महिलाओं की की जा रही है जमकर तारीफ।
अल्मोड़ापर्वतीय परिवेश की जुझारू एवं मेहनतशील महिलायें अपने क्षेत्र में विविध प्रकार की सेवाओं को उपलब्ध करवाने में दिन रात जुटी हुई हैं।मातृशक्ति कि इस सेवा को हर कोई नमन कर रहा है यह महिलाएं एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के माध्यम से गठित आजीविका संघ अन्तर्गत आच्छादित उत्पादक समूह की महिलाएं हैंजो कोरोना संक्रमण काल में जी जान से जुटी हुई हैं।
जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते जिला प्रशासन के सहयोग से यह महिलाएं परियोजना के दूरस्थ विकास खण्ड भैसियाछाना में गठित नारी एकता स्वायत्त सहकारिता की महिलाओं द्वारा इन विषय परिस्थितियों में भी टेक होम राशन एवं अतिकुपोषित बच्चों के लिए स्थानीय एवं पोषकता पूर्ण अनाज से पोषक एवं ऊर्जावान भोजन को तैयार कर रही हैं। सहकारिता कार्यालय में प्रवेश करते हुए इन महिलाओं के आत्मविश्वास अलग ही झलकता है। इस कार्य का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि लाॅकडाउन अवधि के दौरान कई तरह के व्यवसायों के बंद होने के कारण कई लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। इस अवधि में इस कार्य के माध्यम से सहकारिता द्वारा अपने क्षेत्र में अस्थायी रोजगार का सृजन करते हुए सहयोग किया जा रहा है। इसी प्रकार परियोजना के हवालबाग विकास खण्ड में विकास एवं प्रगति स्वायत्त सहकारिताओं की सदस्याओं द्वारा स्थानीय उपजों से तैयार खाद्य पदार्थों को तैयार किया जा रहा है। यह पदार्थ हवालबाग विकास खण्ड से आधा किमी. की दूरी पर एग्रो प्रोसेसिंग केन्द्र में तैयार किये जा रहे हैं।इसके अतिरिक्त आईएलएसपी द्वारा गठित अन्य आजीविका संघों की लगभग 2500 जुझारू एवं मेहनती महिलाओं द्वारा मास्क निर्माण, ग्राम स्तर में आवश्यकता की वस्तुओं की आपूर्ति, दुग्ध संग्रहण, सब्जी बीज एवं पौध वितरण का कार्य कर लोगों को प्रेरणा दे रही है।
इन जुझारू महिलाओं के कार्य की बात न सिर्फ उत्तराखण्ड वरन् इंग्लैण्ड के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में ’स्ट्राइविंग टू मेटेन न्यूट्रीशन सिक्योरिटी: लेसन्न फ्राम वुमेन्स फैडरेशन’ शीषर्क से प्रकाशित एक लेख में हुआ है।इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट में इन महिलाओं के कार्यों की न बल्कि की जगह दी साथ ही इन पर्वतीय महिलाओं की मेहनत एवं विषम परिस्थितियों में किये गए संघर्ष को दुनिया के सामने रखा है. वही कोरोना जैसी इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में महिलाएं के योगदान को भी रखा इन महिलाओं ने कम संसाधनों के बावजूद जो योगदान देकर पर्वती क्षेत्र में जो कार्य किया विवि द्वारा इसे विश्व के सामने एक नजीर के तौर पर प्रस्तुत कर् उत्तराखंड नाम भी रोशन किया है.। इस लेख में सहकारिताओं की महिलाओं द्वारा किये जा रहे कार्य, मुख्यतः कोरोना संक्रमण अवधि के दौरान विभिन्न गतिविधियों को सामाजिक दूरी एवं अन्य मानकों के पालन करते हुए किये जाने को मुख्य फोकस किया गया है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के लेख में इन सहकारिताओं के आत्मविश्वास से भरे प्रयासों का प्रकाशित होना न सिर्फ अल्मोड़ा जनपद वरन् सम्पूर्ण देश की सहकारिताओं के लिए एक खुशी की बात है। इससे सहकारिताओं का आत्मविष्वास भी बढ़ा है, साथ ही लेख का प्रकाशन आईएलएसपी द्वारा किये जा रहे कार्य की सफलता को भी प्रदर्षित करती है। सहकारिताओं से चर्चा करने पर सहकारिता सदस्यों द्वारा वर्तमान सफलता का पूर्ण श्रेय परियोजना के प्रभागीय परियोजना प्रबन्धक श्री कैलाश चन्द्र भट्ट को दिया है। जिलाधिकारी ने समस्त आजिविका संघ की महिलाओं एवं आइएलएसपी से जुडे कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई दी है।