प्रगतिशील कृषक विष्ट ने किया किसान मेले का उद्घाटन
पंतनगर।
पंतनगर विश्वविद्यालय के 107वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन आज मुख्य अतिथि के रूप में अल्मोड़ा के प्रगतिशील कृषक, श्री हीरा सिंह बिष्ट, ने फीता काटकर किया। इस अवसर पर विषिष्ट अतिथि प्रगतिशील कृषक, ग्राम शेरपुर, नारसन, हरिद्वार के श्री विजय पाल सिंह, ग्राम रंजीत नगर, बाजपुर, ऊधमसिंह नगर, के श्री हरमन्दर सिंह एवं काशीपुर, ऊधमसिंह नगर, के श्री सुमित लखोटिया के साथ स्थानीय विधायक एवं विश्वविद्यालय की प्रबंध परिषद के सदस्य, श्री राजेश शुक्ला; निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. अनिल कुमार शर्मा; निदेशक शोध, डा. ए.एस. नैन, एवं अन्य वैज्ञानिक भी उपस्थित थे। मेले के उद्घाटन के पश्चात कुलपति, डा. तेज प्रताप द्वारा श्री बिष्ट को मेले में लगी उद्यान प्रदर्शनी तथा विष्वविद्यालय के महाविद्यालयों के स्टालों का अवलोकन कराया गया। इसके बाद कुलपति ने अतिथियों को खुली जीप में बैठाकर मेला प्रांगण में लगे अन्य स्टालों का भ्रमण कराया। मुख्य उद्घाटन समारोह गांधी हाल सभागार में आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति, डा. तेज प्रताप ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डा. तेज प्रताप ने कहा कि आज के समय में जब अधिकतर किसान कृषि से दूरी बना रहे हैं, प्रदेष एवं देश में ऐसे बहुत से किसान है जो कृषि से सामान्य किसान की अपेक्षा कई गुना अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे किसान ही नये जमाने के किसान हैं, जिनको महत्व दिये जाने की आवश्यकता है, ताकि अन्य किसान भी उनसे सीख लेकर कृषि को फायदे का सौदा बना सकें तथा कृषि से हो रहे पलायन को रोका जा सके। डा. प्रताप ने कहा कि पंतनगर का चार दिन का यह मेला पूरे उत्तर भारत का अद्भुत मेला है, जिसमें उपलब्ध ज्ञान व सामान किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि में किसानों के अच्छे जीवन-यापन के लिए ताकत विद्यमान है। साथ ही उन्होंने चुनिन्दा प्रगतिषील किसानों के साथ बैठक कर कृषि को सभी किसानों के लिए लाभप्रद बनाने की नीति पर मंथन करने की बात कही, ताकि सरकारी नीतियों को भी उसी दिषा में परिवर्तित किया जा सके।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री बिष्ट ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए विभिन्न तकनीकों जैसे उच्च गुणवत्ता के बीज, पौध एवं पशु नस्ल का प्रयोग, कृषि के साथ कृषि आधारित-सह-व्यवसाय अपनाना, उपलब्ध जल स्रोतों का खेती में उपयोग के लिए उपाय ढूंढना, कृषि रसायनों का कम उपयोग, समन्वित खेती अपनाया जाना इत्यादि पर ध्यान देने को कहा। पर्वतीय क्षेत्रों की बंजर भूमि में उद्यान एवं वानिकी अपनाये जाने तथा उत्पादों के विपणन पर ध्यान दिये जाने के साथ-साथ उन्होंने सरकारी अनुदान को सीधे किसानों को न देकर उस धन से किसानों के लिए हितकारी सुविधाओं का निर्माण करने की बात कही। पंतनगर विष्वविद्यालय से उन्होंने अपेक्षा की कि अपने अनुसंधानों से यह पर्वतीय क्षेत्र के किसानों की आय में वृद्धि करने तथा पलायन रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
इस अवसर पर श्री विजय पाल सिंह ने कहा कि गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पादन के लिए जैविक खेती ही मात्र एक विकल्प है और कृषकों को समूह में मिलकर जैविक खेती करना होगा इसके लिए कृषक और वैज्ञानिकों को साथ मिलकर काम करने की आवष्कता है। उन्होंने कहा कि रसायन के उपयोग को कम करने और मृदा को स्वस्थ्य बनाने के लिए मृदा मंे जीवांष की मात्रा बढ़ानी होगी इसके लिए कृषकों को हरी, गोबर एवं प्राकृतिक खाद की तरफ अग्रसर होना होगा। श्री सुमित लखोटिया ने बताया कि कृषक खेती के साथ पशुपालन और कुक्कुट पालन करके अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं और अगर इन व्यवसायों में वैज्ञानिक तकनीकों का समावेष करंे तो कम समय में बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। श्री हरमन्दर सिंह ने तराई के विकास के बारे में बताते हुए उनके द्वारा प्रारम्भ किये गये बीज के व्यवसाय के बारे में बताया और कहा कि किसानों के लिए बीज एक महत्वपूर्ण निवेष है तथा इसकी गुणवत्ता पर हमेषा ध्यान रखने की जरूरत है। श्री सिंह ने कहा कि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से कृषि उत्पाद की गुणवत्ता के साथ-साथ मृदा की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है।
उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में निदेषक प्रसार शिक्षा, डा. अनिल कुमार शर्मा, ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया एवं मेले के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में विष्वविद्यालय के निदेषक शोध, डा. ए.एस. नैन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा विभिन्न कृषि साहित्यों का विमोचन किया गया, साथ ही उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों से चयनित प्रगतिषील किसानों को सम्मानित भी किया गया। गांधी हाल में बड़ी संख्या में किसान, विद्यार्थी, वैज्ञानिक, षिक्षक, अधिकारी एवं अन्य आगंतुक उपस्थित थे। मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों तथा नेपाल के किसान भी उपस्थित थे।