उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में शादी के लिए 36 गुणों का मिलना शुभ या अशुभ?. जाने बस एक क्लिक में ।।

उत्तराखंड में शादी के लिए 36 गुणों का मिलना शुभ या अशुभ?

विवाह का महत्व और रस्में धीरे धीरे वक्त के साथ बदल रही हैं, उत्तराखंड की बात की जाए तो यहां का कल्चर, रीति रिवाज हमारी जड़ों से कभी न जुदा होने वाले लगते है। उत्तराखंड की संस्कृति में विवाह सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं है, बल्कि यह दो परिवारों का भी मिलन होता है।

वैसे तो सभी जगह शादी को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय माना गया है, और इस फैसले में ज्योतिषशास्त्र का भी विशेष महत्व होता है। वैदिक परंपरा में कुंडली मिलान को विवाह का आधार माना गया है और कुंडली मिलान में 36 गुणों की भूमिका बेहद अहम होती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सभी 36 गुणों का मिलना जरूरी है? और अगर ये मिल जाएं, तो क्या यह शुभ होता है? साथ ही चर्चा करते हैं आखिर कितने गुणों का मिलना जरुरी होता है?

कुंडली मिलान और 36 गुणों का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली मिलान में होने वाले वर और वधू की जन्मपत्री का अध्ययन और मिलान किया जाता है। इसमें ग्रह, नक्षत्र, और राशि के आधार पर 36 गुणों की गणना होती है। यह मिलान यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि शादी के बाद पति-पत्नी के बीच सामंजस्य, समझ, और सुख-शांति बनी रहे।

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इन 36 गुणों को आठ वर्गों में बांटा गया है, जिन्हें अष्टकूट कहते हैं। हर वर्ग के गुण अलग-अलग होते हैं, और इनका कुल योग 36 होता है। हालांकि आज के दौर में शादी कराने के तौर तरीके बदल गए हैं, आज ऑनलाइन रिश्ते खोजने का भी प्रचलन है, तमाम मैट्रिमोनियल साइट . से पहले लड़के-लड़कियों की प्रोफाइल देखी जाती है उसके बाद कुंडली के पहलुओं को चेक किया जाता है।

वर्ण: सामाजिक स्तर और मानसिक सामंजस्य

वास्य: एक-दूसरे पर प्रभाव और आकर्षण

तारा: स्वास्थ्य और दीर्घायु

योनि: शारीरिक अनुकूलता

ग्रहमैत्री: मानसिक समझ

गण: स्वभाव और विचारधारा

भकूट: बच्चों और वैवाहिक सुख

नाड़ी: स्वास्थ्य और संतानों से जुड़ी बातें

क्या सभी 36 गुणों का मिलान जरूरी है?

यह आम धारणा है कि शादी के लिए जितने ज्यादा गुण मिलते हैं, उतना ही दूल्हा-दुल्हन व उनके परिवारों के लिए शुभ होता है लेकिन जरूरी नहीं कि 36 गुणों में से सभी गुण मिलें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर 18 या उससे ज्यादा गुण मिलते हैं, तो शादी को सफल और शुभ माना जाता है।

यदि 18 से कम गुण मिलते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि भविष्य में दंपति के बीच कुछ समस्याएं आ सकती हैं। हालांकि, यह पूरी तरह से अनुकूलता पर निर्भर नहीं करता। शादी सिर्फ गुणों के मिलान से सफल नहीं होती, बल्कि आपसी समझ, प्रेम, और सम्मान भी अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही यह भी बहुत काम संयोग होता है कि 36 के 36 गुण मिलते हों।

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36 गुणों का पूरा मिलान शुभ या अशुभ?

उत्तराखंड में अगर किसी जोड़े की कुंडली में सभी 36 गुण मिलते हैं, तो इसे ज्योतिष में उत्तम योग बताते हैं। लेकिन यह हमेशा शुभ हो, ऐसा जरूरी नहीं। कई बार 36 गुण मिलने के बावजूद भी दंपति के बीच अनबन हो सकती है। इसका कारण यह है कि कुंडली मिलान के अलावा भी कई कारक शादी को प्रभावित करते हैं, जैसे परिवारिक पृष्ठभूमि, आर्थिक स्थिति, और सबसे जरुरी व्यक्तिगत स्वभाव।

इसके उलट, कई बार कम गुण मिलने के बावजूद भी शादियां सफल होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दंपति के बीच भावनात्मक जुड़ाव, सहनशीलता, और समस्या समाधान की क्षमता होती है।

क्या गुणों के अलावा भी कुछ देखना जरूरी है?

बिल्कुल गुण मिलान के अलावा, दंपति के व्यक्तिगत गुण, शिक्षा, परिवार, और भविष्य की योजनाओं का विचार करना भी जरूरी है। कुंडली मिलान सिर्फ एक आधार है, लेकिन शादी की सफलता का मुख्य आधार आपसी समझ और प्यार-प्रेम है।

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नाड़ी दोष और अन्य दोषों का प्रभाव

36 गुणों में सबसे महत्वपूर्ण नाड़ी कूट है, जो 8 गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि इसमें दोष होता है, तो इसे शादी के लिए अशुभ माना जाता है। लेकिन ज्योतिष में इसके उपाय भी उपलब्ध हैं। पंडित या ज्योतिषाचार्य से परामर्श करके इन दोषों का निवारण किया जा सकता है।

आधुनिक दृष्टिकोण

आजकल के समय में लोग ज्योतिष और गुण मिलान पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहते। हालांकि, परंपरागत रूप से कुंडली मिलान का महत्व बना हुआ है, लेकिन लोग शादी से पहले एक-दूसरे को समझने और जानने पर ज्यादा जोर देते हैं। यह सही भी है, क्योंकि केवल गुण मिलान से शादी की सफलता सुनिश्चित नहीं होती।

36 गुणों का मिलना शादी के लिए शुभ संकेत हो सकता है, लेकिन यह शादी की सफलता की गारंटी नहीं है। गुणों का मिलान एक दिशा दिखाता है, लेकिन दंपति के बीच आपसी समझ, प्रेम, और सम्मान ही सबसे महत्वपूर्ण हैं। अगर 18 या उससे अधिक गुण मिलते हैं, तो शादी के लिए आगे बढ़ा जा सकता है। लेकिन अंत में शादी एक व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध है, जिसे केवल कुंडली के आधार पर तय नहीं किया जा सकता।

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