चम्पावत
ऑल वेदर रोड को लेकर के हुआ निरीक्षण।
उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने शुक्रवार को प्रातः टनकपुर से चम्पावत तक राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण के दौरान पहाड़ कटिंग एवं 71 डंपिंग जोनों के आब्जर्वेशन के साथ बाईपास का स्थलीय निरीक्षण किया। समिति लोहाघाट से पिथौरागढ़ के मध्य बनाये गए डंपिंग जोनों का भी आब्जर्वेशन करेगी। आब्जर्वेशन के दौरान समिति में शामिल पर्यावरण विशेषज्ञों ने मानक/पर्यावरण नियमों अनुसार मलबे का निस्तारण न होने, गाइड लाइन का अनुसरण न करने, डंपिंग जोन के इतर भी मलबे का निस्तारण करने, डंपिंग हेतु शार्टकट अपनाने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने प्रत्येक डंपिंग जोन और उससे इतर पड़े मलबे का बारीकी से स्थलीय निरीक्षण किया और मलबे के निस्तारण से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव का गहन संज्ञान लिया।
उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने टनकपुर से चम्पावत तक सड़क चौड़ीकरण के निरीक्षण के दौरान पहाड़ पर कटिंग से लूज पड़े मैटेरियल/पत्थरों को वैज्ञानिक तरीके से हटाने के निर्देश दिये जिससे आगे पर्यावरण को कोई क्षति न पहुॅचे। समिति ने किमी. 98.800 मीटर पर ड्रेनेज को बड़ा बनाने तथा अन्य ड्रेनेजों को भी वर्षा जल के आधार पर बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने सड़क चौड़ीकरण में नीचे के खतरे वाले हिस्से को मजबूती देने को कहा जिससे पहाड़ को कम से कम काटने की जरूरत पड़े। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र विशिष्ट विशेषता लिए है, इसकी भौगोलिक परिस्थिति अन्य पर्वतीय क्षेत्रों से पृथक है इसलिए इसका अधिक से अधिक संरक्षण जरूरी है, जिससे देश का पर्यावरण संतुलन बना रहे। उन्होंने कहा कि सड़क चौड़ीकरण के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही प्रशासन व स्थानीय लोगों को कई वर्षो तक दर्द देगी।
अधीक्षण अभियंता एनएच ने कहा कि कटिंग पर व्यय कम होने तथा नीचले, खतरे वाले भाग को मजबूत करने में व्यय अधिक होता है, जिस पर पर्यावरणविदों ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए नीचले भाग को दो मीटर बढ़ाकर पहाड़ी को बचायें इससे पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने इसे सरकार के समक्ष रखने और नीचले भाग को मजबूत करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करने को कहा। कई स्थलों पर पर्यावरण के नुकसान पर एसडीओ वन ने बताया गया कि कई नोटिस कम्पनियों को दिये गये हैं जिस पर वन संरक्षक ने वनों का नुकसान होने पर कठोर नोटिस जारी करने के निर्देश दिये।
समिति ने स्वाला के पास किमी. 101.600 पर लगभग 100 मीटर बंद पड़े भाग का निरीक्षण किया और अवशेष कटिंग वैज्ञानिक तरीके के साथ करने तथा कोई नुकसान न होने देने के निर्देश दिये। समिति सड़क चौड़ीकरण से होने वाले पर्यावरणीय और मानवीय प्रभाव के साथ सड़क चौड़ीकरण से होने वाले क्षेत्रीय प्रभाव, चौड़ीकरण से पर्वतीय भू-भाग के लोगों को लाभ, मानवीय मूल्यों पर पड़ने वाले सामाजिक प्रभाव, सामाजिक सरोकारों का आंकलन के साथ चौड़ीकरण से सामाजिक प्रभाव, दिक्कतें, आने वाले समय में सुविधाएं और चौड़ीकरण से मानव जीवन में अपेक्षित सुधार, आवागमन में सुविधाएं, सड़क के बंद होने पर वैकल्पिक व्यवस्था आदि का आब्जर्वेशन कर अपनी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगी। निरीक्षण के दौरान समिति ने वैज्ञानिक तरीके से चौडीकरण करने एवं मलबा चयनित स्थल पर डंप करने को कहा।
समिति ने स्लाईड जोनों के निरीक्षण के साथ संभावित स्लाइड जोन, वैज्ञानिक तरीके से उनका ट्रीटमेंट किये जाने हेतु प्लान, पर्यावरण संरक्षण में कम्पनियों का योगदान और भविष्य में पर्यावरण संरक्षण हेतु किये जाने वाले उपायों पर भी प्रशासन, एनएच, कम्पनियों के नुमाइंदों से व्यापक चर्चा की। समिति वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी के माध्यम से भी स्लाइड जोन, डंपिंग साइड, संभावित स्लाइड जोन एवं पर्यावरणीय प्रभाव का प्रदर्शन मंत्रालय के समक्ष करेगी। समिति ने सड़क चौड़ीकरण से पेयजल पर पड़े प्रभाव के सम्बन्ध में जानकारी ली तथा सड़क चौड़ीकरण में काम कर रहे मजदूरों की दिनचर्या से भी रूबरू हुई।
एचपीसी समिति में चेयरमैन डा.डीवी सिंह के साथ अन्य विशेषज्ञ डा.एससी कटियार, डा.एस सत्य कुमार, डा.एन बाला, डा. विक्रम गुप्ता, डा.हेमन्त ध्यानी, अक्षय कुमार, सम्मिलित हैं।
एचपीसी के भ्रमण के दौरान उप जिलाधिकारी अनिल गर्ब्याल, वन संरक्षक अल्मोड़ा प्रवीण कुमार, एसई एनएच अनिल पांगती, ईई एनएच एलडी मथेला, एई एनसी पाण्डेय, एसडीओ वन एमएम भट्ट, एमएस सेमिया सहित सभी संबंधित अधिकारी मौजूद थे।