
गोपेश्वर-: वन्य जीव जंतु संरक्षण के साथ-साथ वन विभाग अब स्वरोजगार को बढ़ावा देने की ओर एक कदम आगे बढ़ा है जिसका जीता जागता उदाहरण गोपेश्वर रेंज में देखने को मिला है जहां महिलाओं को स्वावलंबन की ओर ले जाने के लिए अभिनव प्रयोग प्रभागीय वनाधिकारी केदारनाथ वन प्रभाग द्वारा किया जा रहा है। वन विभाग का प्रयास यदि फलीभूत होता है तो महिलाओं के रोजगार के लिए बड़े रास्ते खुलेंगे।
गोपेश्वर रेंज की वन क्षेत्राधिकारी आरती मैथानी बताती है कि केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी अमित कंवर की अभिनव पहल जहां जैव विविधता एवं वन्य जीव जंतु संरक्षण के प्रति कारगर होगी वही जंगलों मे लगने वाली अनचाही आग को रोकने में सहायक होगी ।

राजि अधिकारी मैठैणी के अनुसार पर्वतीय क्षेत्रों में ज्वलनशील चीड़ की पत्तियों को अब रोजगार से जोड़ा जा रहा है जहां स्थानीय महिलाएं चीड़ की सूखी पत्तियों से शोभा दार तथा गृह उपयोगी सजावटी क्राफ्ट का सामान तैयार कर पर्यटन सीजन में इसको बेचने का काम करेंगी। जिसके लिए महिलाओं को तीन दिवसीय प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया गया है तीन दिवसीय कार्यशाला में चीड़ बहुल क्षेत्र की 15 वन पंचायतों कि 25 महिलाओं को प्रशिक्षण लेकर इस को अपनाकर स्वरोजगार अपनाने की बात कही है। क्षेत्र की बदेर, किलौंण्डी, टेडाखनसाल, सैकोट,मासों,कठूड, आदि गांव की करीब 25 महिलाओं को प्रथम चरण में प्रशिक्षण देकर के उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को आगामी चारधाम यात्रा के साथ साथ केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण में आने वाले वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह उत्पाद बिक्री के लिए मुहैया कराया जाएगा।

वन क्षेत्राधिकारी गोपेश्वर आरती मैठैणी कहती है कि बिना लागत के महिलाओं को जंगल से मिलने वाली पिरूल से स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा प्रशिक्षित महिलाएं भी दूसरों को प्रशिक्षण देकर इस कार्य को आगे बढ़ा सकती हैं महिलाएं द्वारा बनाए गए प्राकृतिक आभूषण, फूलदान, पायदान, ट्रे, टोकरियां तथा गृह उपयोगी वस्तुओं के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के पेन स्टैंड तथा सजावटी वस्तु का बड़ा बाजार है तथा यह बाजार में आसानी के साथ बिक सकता है इको फ्रेंडली होने के कारण इसे लोग अधिक पसंद करते हैं इस तरह महिलाओं को जहां रोजगार से खासा मुनाफा होगा वही महिलाओं द्वारा स्वयं सहायता समूह बनाकर के इस कारोबार को बड़े पैमाने पर भी किया जा सकता है जिससे राज्य की महिलाओं में खुशहाली आ सकती है। आर ओ गोपेश्वर के अनुसार महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे क्राफ्ट की सबसे खास बात यह कि तैयार करने में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल को बाजार से ना खरीद कर हक हकूक के द्वारा गांव के आसपास क्षेत्र से लाया जाता है जिनकी इन पक्तियों को रात भर पानी में भिगोकर रखने के बाद विभिन्न प्रकार के उत्पाद इन चीड़ की पत्तियों से तैयार किए जाते हैं।

प्रभागीय वनाधिकारी अमित कुमार कंवर की माने तो गोपेश्वर वन प्रभाग द्वारा की गई अभिनव पहल से राज्य के अन्य वन प्रभाग और ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह से स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कार्यशाला आयोजित होकर रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे वहीं महिलाओं को इस योजना का फायदा होगा तथा पलायन रोकने में यह प्रोजेक्ट कारगर साबित होगा वही महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध होगा साथ ही करीब 4000 हेक्टेयर पर जंगलों में लगने वाली आग को रोकने में भी यह योजना सहायक होगी।।
