
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक पत्र में उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत अपने इस्तीफे की घोषणा की. उन्होंने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित पत्र में उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं. हमारे महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त अमूल्य अनुभवों के लिए मैं हृदय से आभारी हूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है. मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है.”
जगदीप धनखड़ ने लिखा, “मुझे संसद के सभी माननीय सदस्यों से जो स्नेह, विश्वास और सम्मान मिला, वह जीवनभर उनके हृदय में एकत्रित रहेगा. इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारत की आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखना और उसमें भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य और संतुष्टि की बात रही है.”
जगदीप धनखड़ ने 6 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. उन्होंने मानसून सत्र के दौरान इस्तीफा दिया है. मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार (21 जुलाई 2025) को राज्यसभा में राजनीतिक दलों से तनाव कम करने और सौहार्दपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि एक समृद्ध लोकतंत्र निरंतर टकराव की स्थिति में टिक नहीं सकता.
राज्यसभा की बैठक में उन्होंने कहा, “राजनीति का सार टकराव नहीं, संवाद है. अलग-अलग राजनीतिक दल भले ही अलग रास्तों से चलें, लेकिन सभी का लक्ष्य देशहित ही होता है. भारत में कोई भी राष्ट्र के हितों का विरोध नहीं करता.” जगदीप धनखड़ दिसंबर 2024 में सदन में शोरशराबा कर रहे विपक्षी सांसदों से कहा था, “मैं किसान का बेटा हूं, कमजोरी नहीं दिखाऊंगा, देश के लिए मर जाऊंगा.” उनके कार्यकाल के दौरान इस बयान का भी जिक्र जरूर आएगा.
