हल्द्वानी। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों की आजीविका से जुड़ी गौला नदी से उपखनिज निकासी का काम निजी हाथों में जाने की अटकलों पर ब्रेक लग गया है। इससे पहले दिनभर चर्चाएं चलती रहीं कि सरकार उप खनिज निकासी का काम निजी हाथों में देने जा रही है। इस सुगबुगाहट से उपखनिज निकासी से जुड़े कारोबारी भी भड़क उठे। उन्होंने गौला को निजी हाथों में देने का विरोध किया।
हर साल पहली अक्टूबर से गौला का खनन सत्र शुरू हो जाता है। कभी नवंबर तो कभी दिसंबर और कभी जनवरी से
उपखनिज निकासी शुरू होती है। गौला में लगभग 15 सौ हेक्टेयर क्षेत्र से उपखनिज निकासी की जाती है। पिछले सत्र में गौला से उपखनिज निकालने की अधिकतम मात्रा 117 लाख टन तय थी। इस बार दिसबंर शुरू होने के बाद भी उपखनिज निकासी का काम शुरू नहीं हो पाया है। एक तरह गौला के उपखनिज निकासी गेटों पर वन विकास निगम द्वारा संचालित तोलकांटों का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। दूसरी ओर खनन पट्टों से रायल्टी वसूलने का काम भी निजी हाथों में दिया जा रहा है।
यहां गौरतलब है कि गौला उपखनिज निकासी के कारोबार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। गौला कुमाऊं की आर्थिकी की रीढ़ है और लाइफ लाइन कही जाती है। अब तक सरकारी एजेंसियां ही उपखनिज निकासी करती थीं। निजी हाथों में काम जाने की सुगबुगाहट से भड़के कारोबारियों ने बुधवार को हल्द्वानी के एसडीएम कोर्ट परिसर के समक्ष प्रदर्शन कर विरोध जताया। इधर, शाम में खनन विभाग के निदेशक एसएल पैट्रिक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर खनन का काम सरकारी एजेंसी से हटाकर किसी निजी व्यक्ति या फिर कंपनी को देने की योजना का खंडन किया। उनका कहना है कि ऐसा नहीं है और भविष्य में भी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।