
गुजरात के मोरबी जिले में बड़ा हादसा हो गया है. जहां शहर का मणि मंदिर के पास मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज टूट गया है. गौरतलब है कि झूलते पुल पर सवार लोग पानी में गिर गए हैं. टीवी 9 मराठी के मुताबिक अब तक भारी संख्या में लोग डूब चुके हैं. जिस वक्त पुल गिरा उस वक्त पुल पर 500 के करीब लोग होने की जानकारी मिली है. झूलते पुल के गिरने से 10 लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है. पुल टूटने से नदी में सैंकड़ो लोग गिरे हैं.
बताया जा रहा है कि हादसे के दौरान पुल पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे. हालांकि, पुलिस और जिला प्रशासन के लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए हैं.दरअसल, मच्छु नदी में बना केबल ब्रिज अचानक टूट जाने से कई लोग नदी में गिर गए. जहां लोगों को नदी से निकालने के लिए पुलिस टीम द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. वीडियों में नजर आ रहा है कि ब्रिज टूटने के बाद कई लोग बीच में भी फंस गए हैं, जो टूटे हुए ब्रिज को पकड़कर किसी तरह बचने की कोशिश कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि गांधीनगर से मोरबी के लिए एनडीआरएफ की दो टीमें रवाना होंगी. साथ ही राजकोट से एसडीआरएफ की टीम भी रेस्क्यू ऑपरेंशन में मदद के लिए भेजी जा रही है. 2 करोड़ की लागत से हुआ था पुल का निर्माण बताया जा रहा है कि नए साल के मौके पर मोरबी का केबल ब्रिज दर्शकों के लिए खोल दिया गया था. वहीं, 2 करोड़ रुपए की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया गया था. हालांकि, रिनोवेशन के बाद भी इतना बड़ा हादसा होने पर अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.
जानिए केबल ब्रिज का क्या है इतिहास?
वहीं, केबल ब्रिज के इतिहास पर नजर डालें तो इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर श्री रिचर्ड टेम्पल ने किया था. यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से 1880 में बनकर तैयार हुआ था. इस समय पुल बनाने का सामान इंग्लैंड से आया था. यह पुल दरबारगढ़ को नजरबाग से जोड़ने के लिए बनाया गया था.
हालांकि,अब यह लटकता हुआ कुंड महाप्रभुजी के आसन और पूरे समाकांठा क्षेत्र को जोड़ता है. मोरबी का यह केबल ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है. यह केबल ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है.

