उत्तराखण्ड

( पंतनगर किसान मेला) महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा किसानों की आय दोगुनी करने पर कहा नए शोध की है जरूरत, छात्र एवं कृषि वैज्ञानिक आए आगे ।।

पंतनगर

नई सोच एवं नई पद्धति में करें शोधः श्री भगत सिंह कोष्यारी
पंतनगर-: , महाराष्ट्र, के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पंतनगर किसान मेले में भ्रमण करने के बाद कहा कि किसी कार्य को बोलना सरल होता है, लेकिन करना कठिन होता है। उन्होंने देश के वैज्ञानिकों को ऋषि की उपमा दी क्योंकि देश के वैज्ञानिक कृषि के क्षेत्र में निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि एक समय देश में अनाज के लिए भुखमरी थी तथा अनाज बाहरी देशो से मंगाया जाता था, परन्तु वर्तमान में हमारा देश अन्य देशों को अनाज मुहैय्या करा रहा है, जिसमें देश के कृषि वैज्ञानिकों की अहम भूमिका रही है। उन्होंने किसानों की आय दोगुनी करने हेतु वैज्ञानिकों, छात्रों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों से नई सोच एवं नई पद्धति में शोध करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री कोश्यारी ने कहा कि प्रधानमंत्री एक राष्ट्र, एक उर्वरक योजना के तह्त किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो इस क्षेत्र में प्रयासरत है। उन्होंने वैज्ञानिकों, छात्रों एवं किसानों को एक साथ मिलकर विचार-विमर्श एवं योजना बनाकर कार्य करने की बात कही। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आज से अपने द्वारा किये गये नये शोधों एवं तकनीकों को उत्तराखण्ड के अन्तिम किसान तक पहुंचाने का संकल्प लें ताकि पर्वतीय क्षेत्र का विकास हो सके।
कुलपति, डा. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि मानव संसाधनों को विकसित कर नयी शोध तकनीकों को किसानों तक पहुंचाना ही विश्वविद्यालय का उद्देश्य है। विश्वविद्यालय से 5300 विद्यार्थी विश्व में उच्चतम पदों पर आसीन है और विश्वविद्यालय द्वारा 200 से अधिक तकनीकी विकसित की गयी है। देश में पंतनगर के बीज की मांग अत्यधिक है। उन्होंने कहा कि किसान मेले में दो दिवसों में लगभग 10 हजार किसानों द्वारा भ्रमण किया जा चुका है, जिसमें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा अधिक रसायनों का उपयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता नष्ट हो रही है, जिससे किसानों की पैदावार में गिरावट आ रही है। उन्होंने पशुपालन में बद्री गाय के दुग्ध को अमृत के रूप में बताया तथा इस नस्ल को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय वैज्ञानिक प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि मध्यम पहाडी क्षेत्रों में जैविक खेती तथा अधिक ऊंचाई वाले पहाडी क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं है।

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