पूर्वोत्तर रेलवे यात्रियों को संरक्षित, सुरक्षित, आरामदायक एवं तीव्रगामी यात्रा सुविधा प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है रेल परिवहन संरक्षित, सुरक्षित, आरामदायक होने के साथ ही किफायती एवं पर्यावरण के अनुकूल और इसको ध्यान में रखते हुए रेल खंडों के विद्युतीकरण का कार्य प्राथमिकता के आधार पर तेजी से किया जा रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे के कुल 3141.53 रूट किमी. में से अभी तक कुल 2415.1 रूट किमी. अर्थात लगभग 77 प्रतिशत रूट किमी. विद्युतीकृत हो चुका है।
जबकि उत्तराखंड के कुमाऊं परिक्षेत्र में बरेली काठगोदाम रेल खंड में विद्युतीकरण का कार्य गतिमान है जहां पर जगह-जगह विद्युत पोल खड़े कर उन पर विद्युत लाइन बिछाने की भी तैयारी है जबकि सिग्नल और विद्युतीकरण को लेकर काम चल रहा है तथा लालकुआं काशीपुर एवं काशीपुर रामनगर के बीच में भी विद्युतीकरण का लक्ष्य है इसके अलावा लालकुआं रामपुर रेलखंड पर भी विद्युत ट्रेनों के संचालन के लिए तैयारी की जा रही है। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जल्द ही इससे रेलखंड पर विद्युत ट्रेनों का संचालन प्रारंभ हो जाएगा।
रेलवे ने वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में अभी तक निम्नलिखित खंडों को विद्युतीकृत कर कमीशन किया गया। इन पर विद्युत इंजन चालित गाड़ियों का संचलन प्रारम्भ किया गयाः-
- कछवा रोड-माधोसिंह-ज्ञानपुर रोड (दोहरीकृत लाइन)
- भटनी-औंड़िहार (125.62 किमी.)
- औंड़िहार-नन्दगंज-गाजीपुर सिटी (दोहरीकृत लाइन)
- औंड़िहार-डोभी (दोहरीकृत लाइन)
- सलेमपुर-बरहज बाजार (20.7 किमी.)
- दुरौंधा-मसरख (42 किमी.)
- गोण्डा-सुभागपुर (06 किमी.)
- गोरखपुर-आनन्दनगर-नौतनवा (80.77 किमी.)
- मऊ-आजमगढ़ (43 किमी.)
- सीतापुर-परसेण्डी (दोहरीकृत लाइन)
- सीतापुर-लखीमपुर-बांकेगंज (90.16 किमी.)
- बरेली सिटी-पीलीभीत (54.97 किमी.)
- मन्धना-ब्रह्मावर्त (08 किमी.)
- पीलीभीत-टनकपुर (62.17 किमी.)
- फेफना-इंदारा (50 किमी.)
गोण्डा-बहराईच (60 किमी.) खंड के विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। 13 जनवरी, 2022 को इस विद्युतीकृत खंड का रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा निरीक्षण किया जायेगा। आजमगढ़-शाहगंज (54 किमी.) एवं शाहजहाँपुर-पीलीभीत (85 किमी.) रेल खंडों का भी विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो चुका है और शीघ्र ही रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा इनका निरीक्षण किया जायेगा।
विद्युतीकरण से लाभ-डीजल बचत होने से इस पर व्यय होने वाले विदेशी मुद्रा की बचत।हेड ऑन जेनरेशन (एच.ओ.जी.) एच.ओ.जी. पर ट्रेनों के संचालन से एक पावर सह लगेज यान के स्थान पर एल.एस.एल.आर.डी. कोच लगाने से अतिरिक्त 31 सीट एवं 04 मीट्रिक टन सामान का स्थान उपलब्ध तथा कोचों में लाईटिंग, पंखा, चार्जर आदि बिजली से चलने से डीजल की अतिरिक्त बचत।ट्रैक्सन चेन्ज में लगने वाले समय, मानव श्रम एवं अन्य संसाधनों की बचत।इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव (इंजन) में कम अनुरक्षण की आवश्यकता।थ्री फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव रि-जेनेरेटिव ब्रेकिंग से ऊर्जा की बचत।इंजन में आवाज बहुत कम होने से लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट को काफी सुविधा तथा ध्वनि प्रदूषण में कमी।पर्यावरण के अनुकूल तथा किफायती।