अल्मोड़ा

ब्रेकिंग-: आईआईटी रुड़की मना रहा है 175 वर्ष की उत्कृष्टता का जश्न, एक ही मंच पर मिले 200 से अधिक पूर्व-छात्र, एल्युमनाई आउटरीच अब अन्य शहरों में भी ।।

आईआईटी रूड़की ने सिटी ऑफ जॉय कोलकाता में एल्युमनाई आउटरीच गतिविधियों के साथ मनाया 175 वर्षों की उत्कृष्टता का जश्न


रूड़की-: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रूड़की (आईआईटी रूड़की), भूतपूर्व थॉमसन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड युनिवर्सिटी ऑफ रूड़की तकनीकी शिक्षा प्रदान करने तथा समाज के विकास में योगदान के 175 (1847-2022) वर्षों का जश्न मना रहा है। 25 नवम्बर 2021 को शुरू हुआ यह जश्न 24 नवम्बर 2022 तक जारी रहेगा। इस दौरान, छात्रों, अध्यापकों, स्टाफ और पूर्व छात्रों ने विभिन्न अकादमिक, सांस्कृतिक, खेल एवं आउटरीच गतिविधियों के आयोजन की योजना बनाई है।
जश्न के तहत, 17 जुलाई 2022 को कोलकाता में एल्युमनाई आउटरीच कार्यक्रम का समापन हुआ। 200 से अधिक पूर्वछात्रों ने अपने परिवारों के साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। आईआईटी रूड़की के सेवानिवृत्त फैकल्टी सदस्य, जो कोलकाता में हैं, वे भी इस कार्यक्रम में शामिल हुआ। ऐसा लगातार तीसरी बार हुआ है कि आईआईटी रूड़की ने अहमदाबाद (पश्चिम) और काठमाण्डु (नेपाल) के बाद ज़ोनल आउटरीच गतिविधियों का आयोजन किया है। जहां सभी पूर्व छात्रों का एक ही मंच पर आने और अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाने का मौका मिला। इसके अलावा आईआईटी रूड़की ने अपनी 175 वर्षों की उत्कृष्टता के जश्न के तहत कई और शहरों जैसे मुंबई, बैंगलोर, दिल्ली आदि में भी विभिन्न गतिविधियों के आयोजन की योेजना बनाई है।
कार्यक्रम का आयोजन पद्मश्री श्री हर्षवर्धन नेओटिया, चेयरमैन, अम्बुजा नेओटिया ग्रुप तथा श्री मनोज पंत, प्रधान सचिव एवं वित्तीय सचिव, पश्चिम बंगाल, पश्चिम बंगाल सरकार की मौजूदगी में हुआ। साथ ही प्रोेफेसर मनोरंजन परीदा, डिप्टी डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की, प्रोफेसर पार्था रॉय, डीन ऑफ रिसोर्सेज़ एण्ड एल्युमनाई अफ़ेयर्स आईआईटी रूड़की, प्रोफेसर अरूण कुमार, आईआईटी रूड़की और श्री संतोष कुमार, सीईओ, आईआईटी रूड़की डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
प्रोेफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी, डायरेक्टर- आईआईटी रूड़की ने कोलकाता के वरिष्ठ पूर्वछात्रों को सम्मानित किया, जिनकी ग्रेजुएशन को 50 साल पूरे हो चुके हैं। इनमें राज कुमार कपूर, बीई, सिविल इंजीनियरिंग, 1960; अशोक कुमार मुखर्जी, बीई, ईसीई, 1965; राज ककरानिया, बीई, ईसीई, 1969; हर रविन्दर सिंह, बीई, ईसीई, 1970; जब्बर अली, बीई, एमआईईडी, 1973; और सिद्धार्थ चक्रवर्ती, एमई, ईसीई, 1973 शामिल थे।
सभा को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की ने कहा, ‘‘175वें साल में यह हमारा तीसरा आउटरीच कार्यक्रम है जो छात्रों, पूर्व छात्रों एवं अध्यापकों के बीच के मजबूत रिश्तों के महत्व पर रोशनी डालता है। पिछले सालों के दौरान हमारे अध्यापकों ने छात्रों को सफलता की उंचाईयां छूने में सक्षम बनाया है। यह कार्यक्रम नेटवर्क में सभी पूर्व छात्रों के लिए एक ऐसा वातावरण बनाना चाहता है जहां पूर्व छात्रों को अपनी संस्था के साथ, एक दूसरे के साथ जुड़े रहने का मौका मिले तथा सीनियर एवं जुनियर छात्रों के बीच के रिश्ते मजबूत हों।’
श्री हर्षवर्धन नेओटिया, चेयरमैन, अम्बूूजा नेओटिया ग्रुप ने कहा, ‘‘अपने इनोवेशन्स और रीसर्च के साथ आईआईटी रूड़की ने समाज और देश के कल्याण के लिए अकादमिक जगत एवं उद्योग के बीच अच्छे संबंध बनाए हैं। मैं इस उल्लेखनीय योगदान और पूर्व छात्रों के लिए आयोजित इस विशेष कार्यक्रम के लिए संस्थान को बधाई देना चाहूंगा। यह मंच संस्थान के पूर्व छात्रों को प्रेरित कर हर किसी के लिए लाभदायी साबित होगा।’’
कार्यक्रम के दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री मनोेज पंत, आईएएस ने कहा, ‘‘एक मुश्किल पेशे में आगे बढ़ते रहने के लिए आपको अपने आप पर भरोसा होना चाहिए। इसके लिए आपको अपने अध्यापकों के मार्गदर्शन और वरिष्ठ छात्रों के प्रोत्साहन की ज़रूरत होती है। आईआईटी रूड़की की यह एल्युमनाई मीट न सिर्फ समुदाय के निर्माणको बढ़ावा देती है बल्कि यह भी सिखाती है कि अपने समाज और संस्थान केे लिए कुछ करना बेहद महत्वपूर्ण है।’
संस्थान का इतिहास
आईआईटी रूड़की, जिसे पहले द रूड़की कॉलेज के नाम से जाना जाता था, की स्थापना 1847 ई के दौरान ब्रिटिश साम्राज्य में पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई। स्वतन्त्र भारत के लिए इसके महत्व को समझते हुए नवम्बर 1949 में इसे स्वतन्त्र भारत की पहली इंजीनियरिंग युनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। 21 सितम्बर 2001 को युनिवर्सिटी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया, इसके लिए संसद में एक विधेयक भी पारित हुआ। इसके साथ इसका दर्जा युनिवर्सिटी ऑफ रूड़की से बदल कर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रूड़की हो गया।

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