पंतनगर
पंतनगर विश्वविद्यालय को हरा भरा बनाने और कच्चे माल की उपलब्धता के परिपेक्ष में सेंचुरी पल्प एंड पेपर. गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवम् प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की दो सौ एकड़ भूमि पर यूकेलिप्टस का वृक्षारोपण करेगा. सेन्चुरी पल्प एण्ड पेपर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय कौल एवम् पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० मनमोहन सिंह चौहान की उपस्थिति में आज हस्ताक्षर किए गए। सेन्चुरी पल्प एण्ड पेपर के सामाजिक वानिकी विभाग इस भूमि पर क्लोनल विधि से लगभग 2 लाख पौधों का रोपण करेगा।
एवम् विश्वविद्यालय के आय में वृद्धि होगी। भविष्य में वृक्षारोपण के क्षेत्रफल में प्रतिवर्ष वृद्धि की जायेगी। इस वृक्षारोपण से सेन्चुरी पल्प एण्ड पेपर को कच्चे माल के रूप में लकड़ी की उपलब्धता आंशिक रूप से सुनिश्चित होगी।
कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डा. सलिल तिवारी ने बताया कि विष्वविद्यालय फार्म की आय बढ़ाने तथा पर्यावरण संवर्धन हेतु हरित प्रयास के अन्तर्गत सेन्चुरी पेपर मिल के संयुक्त तत्वाधान में यूकेलिपटिस का रोपण किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत समस्त वृक्षों की आपूर्ति सेन्चुरी पेपर मिल, लालकुआं द्वारा किये जायेंगे, जिसकी देख-रेख विश्विद्यालय फार्म द्वारा होगी। इस परियोजना द्वारा प्रति एकड अनुमानित 80000 की आय सम्भावित होगी, जबकि वर्तमान में लगभग 47000 रूपये प्रति एकड की ही है। प्रथम चरण में 200 एकड में वृक्षा रोपण का अनुबंध किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप रूपये 8 करोड की आय 200 एकड से प्राप्त होगी। जिसके द्वारा अनुमानित आय 4 लाख प्रति एकड पांच वर्ष में होगी। प्रत्येक वर्ष सेन्चुरी पेपर मिल के द्वारा लगभग रूपये 50 हजार का प्रति एकड भुगतान विश्वविद्यालय को किया जायेगा। पांचवे वर्ष वृक्ष कटाई पर रूपये 2 लाख प्रति एकड अंतिम भुगतान किया जायेगा। यह आंकलन 2 कुन्तल प्रति वृक्ष के आधार पर है। परन्तु वृक्ष कटने पर अंतिम भुगतान वजन एवं वर्तमान आंकलन पर होगा। वैज्ञानिकों का मत है कि अंतिम भुगतान आंकलन से अधिक ही होगा। जोकि रूपये 5 से 6 लाख तक होगा। वृक्षारोपण से होने वाली आय विश्वविद्यालय फार्म की वर्तमान आय से 50 से 60 प्रतिशत अधिक होने की संभावना है।
इस अवसर पर सेन्चुरी पल्प एण्ड पेपर के एचआर हेड डॉ अरूण प्रकाश पाण्डेय, महाप्रबंधक नरेश चंद्रा, मुकुल रोहतगी, रविन्द्र कुमार सिंह तथा विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ एसपी सिंह, डॉ० अरविन्द तोमर, डॉ० सलिल तिवारी, डॉ0 जयन्त सिंह सहित कई वैज्ञानिक एवम् अधिकारी उपस्थित रहे।