नैनीताल

रविवार विशेष–:,”जश्न ए बचपन”ओरीगामी की क्लास में बच्चों का निखरा हुनर, प्रतिभाओं को उभरने का मिल रहा है मौका

रामनगर

स्कूली बच्चों के व्हाट्सएप्प ग्रुप ,”जश्न ए बचपन”में ओरेगामी का दिन। इस दिवस की रिपोर्ट तैयार की है ग्रुप प्रतिभागी भारती अटवाल ने।अगर आप भी अपने बच्चे को इस ग्रुप से जोड़ना चाहते हैं तो 9536572514 ओर सम्पर्क करें…


कागजी दुनिया का एक अनदेखा और बेहतरीन सफर
सीखने सिखाने की प्रक्रिया कल जश्न ए बचपन में कागजों को फोल्ड करके एक नई प्रतिभा को उभारने का प्रयास किया, जिसे ओरागामी कहा जाता है। ओरागामी को संचालित करते हैं ओरागामी के एक्सपर्ट सुदर्शन जुयाल जी, मगर किसी कारणवश उनकी अनुपस्थिति में कल का दिन संचालित किया नवेंदु मठपाल जी ने । लगभग दो दर्जन बच्चों ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया। यह दिन रोचक ही नहीं बल्कि काफी शानदार रहा , कई सारी चीजें सीखने को भी मिली। रोजाना की तरह महेश पुनेठा जी ने राधा पोखरिया द्वारा लिखित रिपोर्ट को साझा किया । इसी के चलते शुरुआत हुई ओरागामी के सफर की।


ओरागामी के प्रति लोगों का उत्साह सराहनीय था । विपिन , सृष्टि , ममता म्याल, डाली भट्ट ,उत्कर्ष, दिव्यता, हर्षिता जोशी,हर्षिता पंत, लक्षिता जोशी , संवी गुप्ता , प्राची पंत , निधि पंत , संयुक्ता, शैली,आंचल जोशी , शीतल जोशी , दिव्यांश गिरिराज , चार्वाक आदि ने अपने द्वारा बनायी ओरेगेमी की कला कृतियां प्रस्तुत की। काफी बेहतरीन प्रस्तुतियां थीं। पुलकित द्वारा अदभुत पेशकश प्रस्तुत की गई, अमितांशू सर ने पुलकित की कला को काफी रोचक बताया ।उनका कहना था कि यह कला बिल्कुल उदित होते हुए सूर्य के भांति लग रही है। एक अभिभावक माया भोज ने उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि एक वाक्य आपके विचार को बदलने की क्षमता रखता है।।


सही कहा आपने।।आपके कहने के बाद मुझे भी उदित सूर्य सा लग रहा है।। मेरा बेटा इसको निनजा स्टार कहता है।
शीतल द्वारा काफी शानदार पेपर बैग बनाया, जो आज के वातावरण के लिए काफी उपयोगी है। निधि पंत की कला को भी सराहना मिली। इतने सारे लोगों की प्रतिभा शक्ति को उभारना वास्तव में काबिले तारीफ है। ग्रुप एडमिन द्वारा सभी प्रतिभागियों को सचेत भी किया गया की वे गूगल से कापी-पेस्ट न कर ,अपनी कलाकारी को साझा करें। जाने-माने रंगकर्मी जहूर आलम ने बच्चों के काम की तारीफ करते हुए अपना एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया कि ओरीगामी की क्लास में बच्चों के काम की तारीफ़ की जानी चाहिए… शाबाश लेकिन बन्दूक के अलावा भी बहुत कुछ है बनाने के लिए. मेरा तो अभिभावको से भी कहना है कि बन्दूक उन्हें खिलोने के रूप मे भी नहीं देनी चाहिए बच्चों पर इसका अच्छा असर नहीं पड़ता.
कल कमलेश अटवाल सर द्वारा 5 जून के अवसर पर भेजे गये वीडियोज की आज भी ग्रुप के सद्स्यों द्वारा खूब प्रशंसा होती रही। सभी ने उन्हें बहुत रोचक और उपयोगी बताया। सीखने सिखाने की यह प्रक्रिया आज भी जारी रहेगा। आज चित्रकला का दिन है। आज के दिन को संचालित करेंगे- चित्रकार सुरेश लाल जी।

नानकमत्ता से भारतीअटवाल की कलम से

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