अल्मोड़ा
पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा कृषि सलाहभाकृअनुप-विवेकानन्द
रबी फसलों की कटाई, गहाई एवं भण्डारण में ध्यान देने योग्य बातें
देश में कोविड-19 वाइरस के फैलने के साथ ही इस महामारी रूपी खतरे ने पर्वतीय क्षेत्रों में भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिये हैं जहां रबी फसलें या तो पक गई या फिर पकने को तैयार है। इन फसलों की कटाई, गहाई एवं उनके बाजार तक पहुॅंचाने का काम वांछनीय है क्योंकि कृषि कार्य में समय की बाध्यता अत्यंत महत्वपूर्ण है। अतः किसानों को कोविड-19 वाइरस से सम्बधित भारत सरकार द्वारा जारी सभी सावधानी एवं सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करना बहुत ही जरूरी है ताकि इससे महामारी का फैलाव ना हो सके।
- फसलों की हाथ से कटाई/तुड़ाई, गहाई/मड़ाई, सफाई, सुखाई, छंटाई, ग्रेडिंग, तथा पैकेजिंग के दौरान बेहतर होगा कि कार्यरत सभी व्यक्तियों/श्रमिकों वे चेहरे पर मास्क पहनकर ही काम करंे। मास्क से वायु-कण एवं धूल-कण से भी बचा जा सकेगा और श्वास संबंधित तकलीफों से दूर रहा जा सकेगा।
- किसानो को खेती के प्रत्येक कार्य के क्रियान्वयन के पहले, कार्य के दौरान एवं कार्य के उपरांत व्यक्तिगत स्वच्छता एक दूसरे से सामाजिक दूरी (दो श्रमिकों के बीचे 4-5 फीट की दूरी) बरकरार रखते हुए काम करना बहुत ही आवश्यक है।
- सुरक्षा हेतु पूरे कपड़े पहनना एवं कृषि कार्यों में लगे संयंत्रों एवं उपकरणो को कार्य पूर्व तथा कार्यों के दौरान साफ (सेनेटाईज) किया जाना चाहिए। कृषि कार्यां के बीच-बीच मंे साबुन से हाथ धोते रहे।
- एक ही दिन अधिक श्रमिकों को कार्य में लगाने के बजाए उस कार्य को अवधि/दिनों में बांट दिया जाए तथा खेतों में काम अंतराल में किया जाए।
- जहाँ तक संभव हो परिचित व्यक्ति को ही कृषि कार्यों में लगाएॅं। किसी अनजान श्रमिक को खेत मेें कार्य से रोकें ताकि वह इस महामारी का कारण न बन सके।
- खलिहानों में तैयार फसलों एवं उत्पादों को छोटे-छोटे ढेरों में इकट्ठा करंे जिनकी आपस में दूरी 3 से 4 फीट हो। साथ ही प्रत्येक ढेर पर 1-2 व्यक्ति को ही कार्य पर लगाना चाहिए तथा भीड़ इकट्ठा करने से बचना चाहिए। साथ ही साथ बोरों तथा अन्य पैकेजिंग सामग्रियों को भी साफ (सेनेटाईज) किया जाना चाहिए। फसलों में कटाई हेतु परिपक्वता के सामान्य लक्षणः
- दानों में नमी की मात्रा लगभग 20 प्रतिशत से कम रह जाती है।
- पत्तों का रंग पीला हो जाता है और पत्ते गिरने लगते हैं।
- दानों एवं फलियाँ सूखने लगते हैं एवं इनका रंग बदल जाता है।
- फसल का जीवन-चक्र पूरा हो जाता है जो कि फसल एवं इसकी प्रजाति पर निर्भर करता है।
5 धान्य फसलों जैसे गेहूँ व जौ में नीचे की पतियाँ गिरने लगती हैं, तने का रंग पीला हो जाता है और तने में गूदा बनने लगता है, बालियों का रंग पीला हो जाता है, दाने कठोर/सख्त हो जाते है।
6 दलहनी फसलों में फलियों का रंग भूरा हो जाता है, दाने सख्त/कठोर हो जाते हैं, नीचे की पत्तियाँ पीली होकर गिरनी शुरू हो जाती हैं।
7 प्याज एवं लहसुन जैसी सब्जी वाली फसलों में पौधों की गर्दन गिरने लगती है। लहसुन में पत्तों का रंग पीला-भूरा होकर सूखने लगते हैं।
8 चारा वाली फसलों की कटाई वनस्पतिक अवस्था में की जाती है क्योंकि इस अवस्था के बाद चारा वाली फसलों की पोषकता में कमी आती है व रेशे की मात्रा बढ़ जाती है।
फसलों की गहाईः - कटाई के बाद फसल को सिर्फ सूखे स्थान पर ही रखें। फसल को कभी भी गीली या सीलन वाली जगह पर नहीं सुखाएं।
- फसल को अच्छी तरह सुखाने के बाद ही इक्कठा करें या इसका ढेर लगाएं।
- अगर फसल को बीज उत्पादन के लिए उगाया गया है तो इसे फसल की दूसरी किस्मों यानि प्रजातियों के साथ भूलकर भी ना मिलाएं।
- फसल की गहाई पक्के फर्श पर या फिर तिरपाल बिछाकर ही करें ताकि फसल की बर्बादी ना हो।
फसल की गहाई पारम्परिक विधि जैसे फसल को हाथों द्वारा डण्डों से पीटकर या फसल पर बैल चलाकर या फिर यान्त्रिक विधि जैसे मशीनों द्वारा की जा सकती है। भण्डारणः - फसल की गहाई के बाद प्राप्त उपज या दानों को सबसे पहले धूप में अच्छी तरह सुखा लें।
- सफाई (क्लीनिंग) और श्रेणीकरण (ग्रेडिंग) करके इसमें से रोग ग्रस्त, बदरंग, कीटग्रस्त, सिकुड़े एवं अन्य फसलों के दानों, फसल के ठन्ठल/कचरा और खरपतवारों के बीजों को निकाल देना चाहिए।
- जहाँ तक हो सके दानों को नए बोरों में भरकर ही भण्डारण करें। अगर पुराने बोरों का प्रयोग करना हो तों प्रयोग करने से पहले पुराने बोरों को उबलते पानी में धोकर तेज धूप में सुखा लें। पुराने बोरों को मैलाथियान 50 ई॰सी॰ के 0.1 प्रतिशत घोल में भिगोकर भी कीडा़ें एवं सूक्ष्मजीवों से मुक्त किया जा सकता है। आजकल लोहे एवं प्लास्टिक की टंकियां भी अनाज के भण्डारण हेतु उपलब्ध है।
- दाने भरने के बाद बोरों कीे अच्छी तरह सिलाई कर दें या बोरों का मंँुह कसकर बांध दें।
- जिस कमरे या गोदाम में भण्डारण करना हो उसे भण्डारण से पहले अच्छी तरह साफ कर लें और अगर फर्श, दीवारों या छत में सुराख, दरारें या चूहों के बिल हो तो उन्हें सीमेंट से बन्द कर दें।
- कमरे या गोदाम में बोरों को रखते समय या बोरों का ढेर लगाते समय बोरों और दीवार के बीच लगभग 1.5 से 2 फुट का फासला रखें। यह फासला इसलिए रखा जाता है ताकि रिसाव के कारण होने वाली नमी से दानों को होने वाले संभावित नुकसान से बचाया जा सके।
भण्डारण के दौरान समय-समय पर निरीक्षण करते रहना चाहिए क्योंकि अगर कोई कीडा़ लग जाता है तो वह ये कीड़े न केवल अनाज की मात्रा में कमी करते हैं बल्कि उनके पौष्टिक गुण भी नष्ट कर देते हैं। ये कीड़े बीज के अंकुरण पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं।