जसपुर के 19 गांवों को जसपुर तहसील से हटाकर काशीपुर तहसील में स्थानांतरण पर शुरू हुई राजनीति
काशीपुर।
भरतपुर न्याय पंचायत के 19 गांवों को जसपुर तहसील से हटाकर काशीपुर तहसील मे सम्मिलित किए जाने से जनपद ऊधमसिंहनगर के कुछ नेताओं में बेचैनी का माहौल बन गया है और ये नेता सरकार व प्रशासन पर दबाव बनाने में जुटे हैं कि ये 19 गांव पुन: जसपुर तहसील में शामिल किए जाएं, किंतु अब उनकी दाल गलने वाली नहीं है। प्रेस को जारी अपने वक्तव्य में क्षेत्रीय विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि कुछ राजनीतिक लोग काशीपुर तहसील में 19 गांव के शामिल होने पर विरोध कर रहे हैं, क्योंकि वे इन गांवों का विकास नहीं होने देना चाहते हैं ।
श्री चीमा ने याद दिलाते हुए कहा कि वर्ष 2003 में जसपुर तहसील के गठन के बाद काशीपुर तहसील के 19 गांवों को यहां से हटाकर जसपुर से जोड़ दिया गया। तभी से वे इन गाँवो को काशीपुर तहसील में सम्मिलित कराने कको प्रयासरत थे। वहीं न्याय पंचायत भरतपुर के आधीन आने वाले लालपुर, बाबरखेड़ा, हरियावाला, शाहगंज, कुंडा, बक्सौरा, टीला, गनेशपुर, केसरीपुर, गिरधई मुंशी, बैंतवाला, कनकपुर, भरतपुर, बगवाड़ा, पस्तौरा, गढ़ीनेगी, किलावली, दुर्गापुर और नवलपुर के लोग भी इन गांवों को काशीपुर तहसील से जोड़ने की मांग उठाते आ रहे थे। वर्ष 2008 में जनपद ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में भी इन गांवों को काशीपुर तहसील में शामिल करने की मांग को तर्कसंगत पाया गया था। इन गांवों के ग्रामीणों का कहना था कि जसपुर पहुंचने के लिए 15 से 20 किमी और काशीपुर पहुंचने के लिए मात्र 5 किमी का सफर तय करना पड़ता है। इससे उन्हें विभागीय कार्य से जसपुर तहसील जाने में दिक्कतें होती थीं। विधायक चीमा ने बताया कि इन गांवों को काशीपुर तहसील में मिलाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से उन्होंने आग्रह किया,जो कि स्वीकार कर लिया गया। लेकिन अब कुछ राजनीतिक लोग अपने वोट के स्वार्थ के चलते इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि वह क्षेत्र का विकास होते देखना नहीं चाहते । श्री चीमा ने कहा कि ऐसे नेताओं को जनता वक्त आने पर करारा जवाब देगी।