विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राज्य के सबसे बड़े जैव विविधता पार्क का हुआ लोकार्पण,
हल्द्वानी।
उत्तराखंड वानिकी अनुसंधान संस्थान के हल्द्वानी स्थित मुख्यालय परिसर में शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 18 एकड़ में फैले राज्य के सबसे बड़े जैव विविधता उद्यान का लोकार्पण किया गया।अब पर्यटक के साथ साथ स्थानीय लोग भी जैव विविधता से भरे हुए इस उद्यान में सुकून के दो पल बिता सकते हैं।
मुख्य वन संरक्षक,उत्तराखंड वानिकी अनुसंधान संस्थान संजीव चतुर्वेदी ने कोविड-19 के मद्देनजर लागू पूर्णबंदी के दौरान उद्यान के निर्माण कार्य में जुटे रहे सभी कर्मचारियों एवं श्रमिकों को अपनी ओर से सूक्ष्म जलपान कराकर उद्यान का लोकार्पण किया।
इस उद्यान के एक छोटे से भाग में विकसित किये गये जुरासिक पार्क में सिकेड,कोनिफर(शंकूधारी पौंधे) समेत डायनासौर काल की छह वनस्पतियों का संरक्षण एवं प्रदर्शन किया गया है।वहीं सर्वधर्म वाटिका में सभी प्रमुख धर्मों से जुड़ी महत्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियों को प्रदर्शित किया गया है।
इस उघान के मिट्टी संग्रहालय में राज्य के सुदूर उत्तर स्थित बर्फ आच्छादित पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर तराई व भाबर तक पायी जाने वाली अलग-अलग रंगों की आठ प्रकार की मिट्टियों का संरक्षण किया गया है।
श्री चतुर्वेदी का कहना है कि ‘जैव विविधता उद्यान में पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति पूर्ण दृष्टिकोण रखते हुए मिट्टी,सूक्षम तथा निम्न कोटि के पौंधों से लेकर पेड़ों तक को प्रदर्शित किया गया है’। राज्य के विभिन्न भागों में बेल,आंवला,कीड़ाजड़ी,तिमूर,जटामासी,गिलाय समेत लगभग 36 प्रकार के औषधीय पादपों की प्रजातियां पायी जाती हैं।इन सभी के सूखे अर्क को सरल जानकारियों के साथ उघान मेें जगह दी गयी है।
इस उद्यान में पत्थरों पर चित्रकारी करने की कला ‘पेवेल आर्ट’ तथा वर्षों पुराने वृक्ष की जड़ों को कलात्मक बनाने की कलाकारी ‘डिफ्टवुड’ के नमूने भी देखने को मिलते हैं।यहां नंधौर और शारदा नदियों से मिले पत्थरों पर चित्रकारी करने के साथ ही पुराने वृक्ष की जड़ों को कलात्मक रुप से तराश कर जड़ों का संग्रह भी किया गया है।
चतुर्वेदी ने बताया कि उद्यान में एक स्वचालित मौसम केंद्र भी स्थापित किया गया है जो तापमान,वर्षा,आर्द्रता,वायु की गति तथा दिशा,सौर विकिरण,वायुमंडलीय दाब आदि नौ प्रकार के मौसम का प्रति मिनट के आधार पर अध्ययन करता है।
उघान में बनायी गयी बुद्ध वाटिका में गौतम बुद्ध की प्रतिमा के चारों ओर उनके जीवन से ताल्लुक रखने वाले 13 वृक्षों की प्रजातियों को संरक्षित किया गया है।
हल्दू के वृक्षों के बहुतायात में पाए जाने के कारण ही हल्द्वानी नगर का नाम पड़ा लिहाजा इन वृक्षों को भी यहां बनायी गयी हल्दू वाटिका में विशेष रुप से संरक्षित किया गया है।
यह उघान विज्ञान,आध्यात्म,स्वास्थ,सौन्दर्य तथा संरक्षण के सभी पहलुओं को छूता है।