जैविक खाद के नाम पर निजी चीनी मिल जेबें भरते हुये कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को समाप्त करने पर तुले है।
विश्वकान्त त्रिपाठी
लखनऊ। जहां केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है और सरकार ने कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग से किसानो की आय दो गुनी करने का सपना दिखारही है वही प्रदेश के चीनी मिल अपनी आय बढाने के उद्देस्य से कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को समाप्त करने पर तुले है प्रदेश के सौ से अधिक निजी चीनी मिल भूआर्गेनिक व जैविक खाद के नाम पर किसानो की कृषि भूमि को बंजर बनाने पर तुले है और मिल से निकले प्रेस-मड व रसायन युक्त जहरीले गंदे पानी से कथित आर्गेनिक खाद बनाकर मिल मालिकान अपनी जेबें भरते हुये कृषि भूमि की उरर्वरा शक्ति को समाप्त करने पर तुले है।
देश की कृषि मौसम पर निर्भर है यहां का किसान हमेशा से मानसून के कोप से पीडित रहा है, कभी सूखा तो कहीं बाढ या अतिबृष्टि के कारण प्रकृति का कोप सहता हुआ बेचारा किसान पाल्यो का पेट भरने को विवश है। यूपी को चीनी का कटोरा कहा जाता है क्यो कि और प्रदेश की कैश क्राप गन्ना है तराई के पीलीभीत,खीरी,बहराइच और सीतापुर इलाके मे तमाम निजी और सरकारी चीनी मिले है जो किसान की कैशक्राप गन्ना है जिसका पूरा भुगतान भी मिल समय से नहीं करते सहकारी समितियां भी किसानो की नही सुनती सरकारे पूरी तरह मिल मालिकों की कठपुतली बनी है और मिल उत्पादित बिजली से लेकर अल्कोहल,खोई(बगास)प्रेसमड, और कथित जैविक खाद आदि अन्य तमाम उत्पादन बेंच कर माला-माल हो रहे है और समय पर किसानो को भुगतान भी नही करते तथा दूसरी तरफ कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को जैविक खाद के नाम पर मिल से निकली राख, चूना,गन्धक व हैड्रस युक्त विभिन्न हानिकारक रसायनो के मिश्रण को किसानो के खेत मे डलवाकर कृषि-भूमि को बांझ बनाने पर तुले है।
यहां तक कि खीरी के अजवापुर स्थित डीसीएम श्रीराम लिमटेड चीनी मिल युनिट ने जेबी गंज इलाके मे पर्चे बटवाकर निर्धारित मूल्य पर प्रेस मड व रसायन युक्त हानिकारक डिस्टलरी से निकला जहरीला पदार्थ भी बेचने का इस्तिहार जारी करते हुये उर्वराशक्ति बढाने का दावा तक कर डाला और जैविक खाद खरीदने के लिये किसानो पर दबाव भी कर रहे है।यहां तक मिल से निकल रही गर्मागर्म जैविक मैली खाद को खेत में डालकर उसकी उर्वरा शक्ति को पूरी तरह से नष्ट कर रहे हैं।
इस संबंध में जब लखीमपुर खीरी के जिला कृषि अधिकारी एसपी सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की खाद बेचने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है यदि वह इस तरह से किसानों को मैली के नाम पर खाद बेच रहे हैं तो यह गलत है जिसको लेकर जांच करने के बाद कार्रवाई की जाएगी।कृषि वैज्ञानिक डॉ एके सक्सेना ने बताया कि गर्म मैली खेत में डालने से उसकी उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाएगी यदि खेत में डालना ही है तो इस मैली को करीब 15 दिन तक ठंडा करने के बाद उसने अन्य जैविक तत्वों को मिलाकर उसे खेत में डालना चाहिए।
वही बजाज की पलिया,गोला और खंम्भार खेडा चीनी मिले पहले से ही विभिन्न नामो और ब्रान्डो से कई तरह की मिल से निकले अपशिस्ट पदार्थो से कथित जैविक तैयार कर किसानो को बेच रहे है और साथ ही डिस्टलरी निकले रसायन युक्त विषैले पदार्थ को टैकरो के माध्यम से0 खेतो मे पहुचाकर धरती की कोख को बंजर बनाने पर तुले है।
जहां पहले ही किसान ने अपनी आय और उपज बढाने के लिये विभिन्न रसायनो तथा अंधाधुन्ध कीट नाशको का प्रयोग कर धरती को परजीवी बना उसके उपजाऊ पन को लगभग समाप्त कर दिया है और अब बिना रसायनिक खाद और कीट नाशक के कोई फसल तैयार नही हो पाती वहीं पूजीं पति अत्यधिक धन कमाने की लालसा मे जैविक और कम्पोस्ट तथा भूआर्गेनिक के नाम पर किसानो की भूमि को बंजर बनाने पर तुले है और प्रदेश के निजी चीनी मिल मालिक जैविक और कम्पोस्ट तथा भूआर्गेनिक के नाम पर किसानो की जमीन बंजर बना देगे तो सरकार का किसानो की आय दोगुना करने का सपना,सपना ही रह जायेगा जब जमीन की उरवरा शक्ति नहीं होगी तो आय कहां से दोगुनी होगी मोदी जी।