
उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस नैनीताल द्वारा 9 मई को नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा व कोषागार के लेखाकार बसन्त जोशी की ओर से दायर जमानत अर्जीयों पर सुनवाई की। मामलों की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ती राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने दोनों को फिलहाल कोई राहत नही देते हुए अगली सुनवाई आने वाले बुधवार की तिथि नियत की है। आज हुई सुनवाई में सीबीआई व विजिलेंस के अधिकारी पेश हुई। कोर्ट ने उनसे कहा है कि जो जांच नियमावली है । वह स्पस्ट नही है। इसलिए विजिलेंस व सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी इस इस पर बैठक कर कोर्ट का मार्गदर्शन करें। विजिलेंस की टीम ने मुख्य कोषाधिकारी व लेखाकार को 1.20 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा था । यह रिश्वत जिला न्यायालय नैनीताल/हल्द्वानी में कार्यरत 6 कर्मचारियों को ए सी पी,का लाभ दिए जाने के एवज में लिये जाने का आरोप है ।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि की उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। जबकि सरकार की तरफ से कहा गया कि जब मामले की जाँच हुई तो पाए गए नोटो पर एकाउंटेंट व मुख्य कोषाधिकारी के उंगलियों के निशान पाए गए। इसकी पुष्टि के लिये काँच के गिलास में पानी भरकर व सोडियम कार्बोनेट डाला गया। जिसमें आरोपियों हाथ धोए गए तो पानी का रंग गुलाबी हो गया। नोटों में भी आरोपियों के उंगलियों के निशान लगे हुए हैं।
