उत्तराखण्ड

बड़ी खबर(देहरादून)मानसून हुआ विदा तो नुकसान का आंकलन के लिए निकली पीडीएनए टीमें आपदाग्रस्त क्षेत्रों में।।

Uttarakhand City news dehradun उत्तराखंड में बरसात का यह सीजन बड़ा भयावह रहा लगातार बारिश के कारण आपदाओं ने लोगों को दहशत में डाल दिया था लेकिन मॉनसून की विदाई के बाद मौसम इस बार फिर गड़बड़ बदला और लोगों को चटक तेवर दिखा रहा है पिछले कुछ दिनों से गर्मी ने पसीने छूटा रखे हैं। रविवार को देहरादून का अधिकतम तापमान 35.6 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि न्यूनतम तापमान तीन डिग्री बढ़कर 22.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इस वजह से रात के समय भी गर्मी परेशान कर रही है।

पंतनगर का अधिकतम तापमान 35.6 और न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस रहा। मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान 24.2 और न्यूनतम तापमान 14.3 डिग्री सेल्सियस रहा हो। नई टिहरी का अधिकतम तापमान 26 और न्यूनतम तापमान 15.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इन सब के बीच अब उत्तराखंड में सड़क एवं नदियों के रखरखाव पर सरकार ने पूरा फोकस लगा दिया है सड़कों को दुरुस्त करने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है वही नदियों के चैनेलाइज और पुलों की मरम्मतों पर भी काम तेज है।

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देहरादून में अतिवृष्टि से हुए नुकसान का आकलन, पीडीएनए टीम ने आपदाग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया है।
देहरादून जनपद में मानसून सीजन के दौरान अतिवृष्टि और प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का आकलन और आपदा-पश्चात आवश्यकता मूल्यांकन हेतु भारत और राज्य सरकार की पीडीएनए टीम ने विभागों के नोडल अधिकारियों से क्षति की जानकारी लेते हुए आपदाग्रस्त क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान विशेषज्ञों ने पीडीएनए की प्रक्रिया, इसके महत्व एवं कार्यान्वयन की विस्तृत जानकारी दी।

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अपर जिलाधिकारी (एफआर) केके मिश्रा की अध्यक्षता में शनिवार को पीडीएनए टीम ने वन विभाग के मंथन सभागार में सभी विभागों के नोडल अधिकारियों के साथ बैठक की और देहरादून जिले में आपदा से हुई क्षति के बारे में पूरी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि पीडीएनए टीम द्वारा क्षति और नुकसान का समग्र आंकलन कर पुनर्प्राप्ति के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेजा जाएगा। इसमें ढांचागत नुकसान के साथ आजीविका पर पडे प्रभाव को भी शामिल किया जाएगा। विशेषज्ञों ने कहा कि पीडीएनए के अंतर्गत आपदा प्रभावित क्षेत्रों में क्षति का आंकलन, पुनर्निर्माण की आवश्यकताएं, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव तथा दीर्घकालिक पुनर्वास योजनाओं को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार की जानी है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी इसमें शामिल किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पीडीएनए केवल एक तकनीकी प्रक्रिया न होकर, एक समग्र और सहभागी प्रक्रिया है, जिसमें सभी संबंधित विभागों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने विभागों को सामाजिक क्षेत्र, आर्थिक क्षेत्र और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में हुए परिसंपत्तियों की क्षति, नुकसान और उसका पुनर्निर्माण हेतु पीडीएनए मानकों के अनुसार निर्धारित फॉर्मेट में रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। बैठक के बाद पीडीएनए टीम ने सहस्रधारा, कार्लीगाड, मज्याडा, मालदेवता, कुमाल्डा आदि आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करते हुए आपदा से हुई क्षति का निरीक्षण भी किया।

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