
नैनीताल । विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) / द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, हल्द्वानी श्री विक्रम की अदालत ने 50 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार पूर्व जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी, बागेश्वर, सुबोध शुक्ला की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
अदालत में प्रस्तुत मामले के अनुसार, शिकायतकर्ता कैलाश चन्द्र, जो कि उपनल के माध्यम से सैनिक कल्याण विभाग में संविदा पर कार्यरत थे, ने शिकायत की थी कि सेवा विस्तार के एवज में अधिकारी सुबोध शुक्ला द्वारा ₹50,000 की रिश्वत की मांग की गई। शिकायत सत्य पाए जाने पर सर्तकता अधिष्ठान, नैनीताल सैक्टर हल्द्वानी की ट्रैप टीम द्वारा 24 मई 2025 को अभियुक्त को रंगे हाथों ₹50,000 की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील शर्मा ने कोर्ट को बताया कि ट्रैप के दौरान की गई ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग, बरामद लिफाफे में मिले नोटों पर कैमिकल परीक्षण तथा अभियुक्त के हाथों से मिले संकेत इस बात के पुष्ट प्रमाण हैं कि रिश्वत ली गई थी। साथ ही, शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज कराई गई गोपनीय शिकायत की जांच में भी आरोपी अधिकारी की छवि भी सही नहीं थी ।
दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता के साथ पुरानी रंजिश के चलते उन्हें झूठा फंसाया गया है तथा पूरी कार्यवाही पूर्वनियोजित है। उन्होंने यह भी बताया कि अभियुक्त 50 प्रतिशत विकलांग हैं एवं सेना से ईमानदार सेवाकाल के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं।
परंतु, न्यायालय ने आरोप की गंभीरता, उपलब्ध साक्ष्यों एवं ट्रैप की कार्यवाही को ध्यान में रखते हुए, यह कहते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी कि वर्तमान में अभियुक्त के विरुद्ध जांच प्रचलित है और प्रथम दृष्टया आरोप अत्यंत गंभीर हैं, अतः उन्हें इस स्तर पर रिहा करना न्यायोचित नहीं है।
इस आधार पर कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी ।
