उत्तर प्रदेश

(खेत खलिहान)मक्का की फसल बोने का समय है उपयुक्त,इस तरह से कर सकते हैं खेती, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानिक बता रहे हैं तकनीकी ।।

पंतनगर उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के मैदान एवं तराई क्षेत्रों में रबी फसलों की कटाई के बाद फरवरी में खेत खाली हो जाते है। इस समय किसान खेतो में मक्का उगाकर अधिक लाभ कमा सकते है। यह बात विश्वविद्यालय के सस्य विज्ञान विभाग के विरिष्ठ शोध अधिकारी, डा. अमित भटनागर ने बतायी।  उन्होंने कहा कि बसंत ऋतु में बोयी गयी मक्का की फसल से अधिक उत्पादन मिलता है और खाली खेत का सदुपयोग भी हो जाता है। उन्होंने बताया कि बुवाई का उपयुक्त समय फरवरी माह का प्रथम पखवाड़ा है परन्तु फरवरी के अन्तिम सप्ताह तक इसकी बुवाई कर लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पंत संकर मक्का 5 तथा पन्त संकर मक्का 6 प्रजातियां की 20 से 25 किग्रा प्रति हैक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है जो 90 से 100 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। डा. भटनागर ने कहा कि खेत की तैयारी के लिए 2 से 3 हैरो करके समतल कर लें और बीजों को पंक्तियों में बोये इसके लिए 60 सेमी की दूरी पर खोदे तथा बीज से बीज की दूरी 20 से 25 सेमी. रखे। उन्होंने बताया कि नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटेषियम की संस्तुत मात्रा क्रमषः 120 किग्रा, 60 किग्रा. तथा 40 किग्रा./हैक्टर का प्रयोग करे। बुवाई के समय नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा दें तथा नाइट्रोजन की शेष मात्रा तीन बराबर भागों में फसल की 4 से 5 पत्ती अवस्था, घुटने की ऊंचाई की अवस्था तथा नर मंजरी फूल आते समय दें। इस ऋतु में ज्वार प्ररोह मक्खी का प्रकोप अधिक होता है इसके बचाव हेतु बीजों को इमेडाक्लोप्रिड 48 प्रतिशत एफ.एस. दवा से एक मिली./किग्रा. बीज की दर से उपचारित करके बोयें।
इस ऋतु में बोयी गयी फसल में 6 से 7 सिंचाइयों की आवष्यकता होती है। अतः खेत को समतल करना जरूरी है। खेत को छोटे-छोटे क्यारियों में बांट ले इससे सिंचाई करने में सुविधा होती है। मक्का की पंक्तियों के बीच में पतवार, सूखी पत्तियां आदि बिछायें। इससे मृदा में नमी अधिक बनी रहती है तथा खरपतवारों की वृद्वि भी कम होती है। इस ऋतु की मक्का में कीट तथा बीमारियों का प्रकोप कम होता है, जिससे उपज अच्छी प्राप्त होती है। अच्छा फसल प्रबंधन करके किसान बसंत ऋतु वाली मक्का से प्रति हैक्टर 80 से 85 कुन्तल दाना प्राप्त कर सकते है। भुट्टो की तुडाई के बाद मक्का के पौधों को मिट्टी में दबा दे, जिससे भूमि की उर्वरता बनी रहती है।

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