पंतनगर-: विश्वविद्यालय में चल रहे चार दिवसीय 113वें किसान मेला व कृषि उद्योग प्रदर्शनी के दूसरे दिन उत्तराखण्ड के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह द्वारा वर्चुअल माध्यम से गांधी हाल में सभी को संबोधित किया गया। इस अवसर पर कुलपति, डा. मनमोहन सिंह चौहान, निदेशक प्रसार शिक्षा डा. अनिल कुमार शर्मा; निदेशक शोध डा. ए.एस. नैन के साथ अधिष्ठाता, निदेषकगण, वैज्ञानिक, विद्यार्थी एवं किसान उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि पंतनगर विष्वविद्यालय तकनीकी के क्षेत्र में अग्रसर है तथा नई तकनीक से कृषि समस्याओं का समाधान खोजना चुनौतीपूर्ण कार्य है। पंतनगर विष्वविद्यालय अपनी स्थापना से ही कृषि के क्षेत्र में अग्रसर रहा है। हरित क्रांति की जननी पंतनगर विश्वविद्यालय किसानों हेतु तकनीकी, नवाचार, अनुसंधान आदि कार्यों में में तत्पर है। उन्होंने विश्वविद्यालय तथा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के मिषन के साथ मिलकर किसानों की आय दोगुनी करने का प्रधानमंत्री जी का सपना साकार कर रहा है। देश कृषि उत्पादों का निर्यात अन्य देषों को कर रहा है तथा इससे प्राप्त धन को किसानों को समृद्ध बनाने में उपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा नई तकनीकों, अनुसंधान आदि को पहाड़ी क्षेत्र के छोटे जोत के किसानों तक पहुंचाने की आवष्यकता है जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके। उन्होंने बताया कि 3000 से ज्यादा कृषि स्टार्टअप नवाचार के रूप में स्थापित किये गये है। भारतीय किसानों के लिए यह वर्ष महत्वपूर्ण है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। मिलेट में काफी मात्रा में फाइबर और पोषकता आदि पाया जाता है जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता का विकास होता है। भारत के विकास में मिलेट का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने सीमान्त संसाधनों वाले मोटे अनाजों पर पहाड़ी एवं हिमालयी क्षेत्रों में मूल्यवर्धक है। पहाड़ों पर मोटे अनाजों को उगाने के लिए नवीन तकनीकी की आवष्यकता है। उन्होंने ‘श्री अन्न’ को आजीविका का आधार बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय के पर्वतीय क्षेत्रों के अनुसंधान केन्द्रों पर चलाई जा रही प्राकृतिक खेती, जैविक खेती की विकसित तकनीकों को प्रदर्षन के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों तक पहुंचाने की आवष्यकता पर बल दिया। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में विलुप्त हो रही प्रजातियों का संरक्षण करने की बात कही। कुलाधिपति ने कहा उत्तराखण्ड की जलवायु, पानी, भूमि, हवा आदि फसलों के प्रति अनुकूल है जोकि यहां ईष्वर का दिया वरदान है। कृषि के साथ-साथ पशु, मत्स्य, मुर्गी, सब्जी उत्पादन आदि को अपनाकर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते है। उन्होंने मोटे अनाजों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया जिससे किसानों की थाली में पौष्टिक आहार मिल सके। उन्होंने स्वयं सहायता समूह के महिलाओं द्वारा किये गये प्रष्नों का भी समाधान किया।
कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि मेले में लगभग 5000 किसानों ने भ्रमण कर विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसल प्रजातियों एवं तकनीकों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने बताया कि देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित 330 से अधिक फसल प्रजातियों का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा 53000 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी है जो देष ही नहीं वरन विदेशों में विश्वविद्यालय की कीर्ति का परचम लहरा रहे है। उन्होंने बताया कि विष्व में 10 पाये जाने वाले मोटे अनाजों में 5 मोटे अनाज यथा कोदो, मंडुवा, झिगोरा, चीना, सावा उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में पाए जाते है। उन्होंने बताया कि मिलेट को उगाने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है तथा 42 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान तक भी ये आसानी से उगाये जा सकते हैं।