उत्तराखण्ड

(लालकुआं) रामकथा में श्रद्धा भक्ति और भावनाओं का संगम, पंकज मिश्रा मयंक करा रहे हैं कथा का रसपान।।

लालकुआँ | एक्सक्लूसिव
राधे–राधे सेवा समिति के तत्वावधान में 25 एकड़ रोड, जाल क्षेत्र में आयोजित श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ में आज श्रद्धा, भक्ति और भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा व्यास पं. पंकज मिश्रा ‘मयंक’ के ओजस्वी और भावप्रवण प्रवचनों को सुनने के लिए पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। वातावरण “जय श्री राम” के गगनभेदी जयकारों से गुंजायमान हो उठा और पूरा क्षेत्र भक्तिरस में सराबोर नजर आया।
कथा के दौरान पं. मयंक मिश्रा ने श्री राम–सुग्रीव मित्रता एवं पंचवटी में प्रवेश के प्रसंगों का अत्यंत भावनात्मक और जीवंत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि श्री राम और सुग्रीव की मित्रता धर्म, सत्य, त्याग और परस्पर विश्वास की अनुपम मिसाल है, जो आज के समाज को सच्चे संबंधों का मार्ग दिखाती है। पंचवटी प्रवेश प्रसंग के माध्यम से उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के वनवास काल के त्याग, करुणा और धैर्य को इस प्रकार प्रस्तुत किया कि श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
कथा के मध्य पंडाल में पहुंचे भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री दीपेंद्र कोश्यारी, किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नेगी, पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट तथा राजेंद्र सिंह बिष्ट को कथा व्यास द्वारा राम पटका पहनाकर सम्मानित किया गया। इस सम्मान समारोह ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ाया।
प्रवचनों के बीच-बीच में भजन-कीर्तन से पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। श्रद्धालु प्रभु श्री राम के आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लेते दिखाई दिए। आयोजन समिति ने बताया कि आगामी दिनों में रामायण के अन्य महत्वपूर्ण एवं प्रेरक प्रसंगों का रसपूर्ण वर्णन किया जाएगा।
इस अवसर पर राधे–राधे सेवा समिति के अध्यक्ष संजीव शर्मा, मुख्य यजमान कुलदीप मिश्रा व रीना मिश्रा, जीवन कबड़वाल, हरीश नैनवाल, भोलाराम, उमेश तिवारी, शाहिद सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे। वहीं भाजपा के महामंत्री राजेंद्र सिंह बिष्ट, पूर्व जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री दीपेंद्र कोश्यारी, संजय अरोड़ा, रवि शंकर तिवारी, लाखन सिंह मेहता, प्रेस क्लब अध्यक्ष बीसी भट्ट, बैरिस्टर राय, दिलीप सिंह, बीएन शर्मा, अशोक पाठक सहित गणमान्य लोग भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ ने न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया, बल्कि समाज को धर्म, मर्यादा और मानव मूल्यों के पथ पर चलने का प्रेरक संदेश भी

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