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उत्तराखण्ड

(विश्व आलू दिवस पर विशेष) उत्तराखंड का एक गांव ऐसा भी.प्रमाणिक आलू बीज उपलब्ध कराने वाला गांव बना जल्लू ।।

Uttarakhand city news.com प्रमाणिक आलू बीज उपलब्ध कराने वाला गांव बना जल्लू

विकास खंड थलीसैंण में चल रहा है आलू बीज उत्पादन कार्यक्रम

बीज उत्पादन से किसानों के साथ ही फेडरेशन को हो रहा फायदा

पौड़ी गढवाल

विकास खण्ड थलीसैंण का जल्लू गाँव अब प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने वाला पौड़ी जिले का पहला गाँव बन गया है। यहाँ के किसान पिछले दो साल से उद्यान विभाग को कुफरी प्रजाति के प्रमाणित आलू बीज उपलब्ध करा रहे हैं। जिले में आलू बीज की माँग को देखते हुए आलू बीज उत्पादन कार्यक्रम को विस्तार देने की योजना बनायी जा रही है। इससे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के संदेश की दिशा में काम करते हुए आलू बीज उत्पादन में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाये जा रहे हैं।

उत्तराखण्ड राज्य के अधिकांश भू-भाग के पहाड़ी होने के कारण यहां की जलवायु व मौसम आलू बीज उत्पादन के लिए अत्यन्त अनुकूल है। राज्य में उद्यान विभाग को प्रतिवर्ष लगभग 15-17 हजार क्विंटल प्रमाणित आलू बीज की आवश्यकता होती हैं, लेकिन उत्तराखण्ड में राजकीय उद्यानों तथा किसान संघों के माध्यम से लगभग 6-7 हजार क्विंटल आलू बीज ही उत्पादित होता है। जिस कारण उद्यान विभाग प्रतिवर्ष लगभग 8-9 हजार क्विंटल प्रमाणित आलू बीज हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश व हरियाणा आदि राज्यों से  क्रय कर किसानों को उपलब्ध कराता है। उत्तराखण्ड में किसानों के माध्यम से बीज उत्पादन केवल जनपद पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तथा उधमसिंह नगर के काशीपुर में किया जाता रहा है। 
पौड़ी गढ़वाल के आलू उत्पादन बहुल क्षेत्र थलीसैंण के किसान आलू का उचित मूल्य एवं बाजार न मिलने से परेशान थे। किसानों की इसी समस्या के समाधान के लिए वर्ष 2023 से  एनआरएलएम, उद्यान, कृषि और ग्रामोत्थान परियोजना के सहयोग से जल्लू गांव में आलू बीज उत्पादन का अभिनव प्रयास किया गया। जिसके तहत गांव में एनआरएलएम ने 51 किसानों को संगठित कर प्रेरणा उत्पादक फेडरेशन का गठन किया। इसके साथ ही बीज प्रमाणीकरण हेतु संबंधित फेडरेशन का जीएसटी पंजीकरण, बीज लाइसेंस तथा बीज प्रमाणीकरण एजेंसी में पंजीकरण कर बीज प्रमाणीकरण का कार्य करवाया गया।

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पहले चरण में 3.72 हेक्टेयर भूमि पर 100  क्विंटल कुफरी ज्योति प्रजाति का आलू बोया गया। जिसमें 450  क्विंटल आलू का उत्पादन हुआ। ग्रेडिंग के बाद 235 क्विंटल आलू को बीज के लिए कोल्ड स्टोर में रखा गया। जबकि शेष आलू किसानों ने बेच दिया। फेडरेशन ने किसानों के घर-घर जाकर उनसे 25 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से आलू खरीदते हुए तत्काल नकद भुगतान किया। उद्यान विभाग ने फेडरेशन से 38 प्रति किलोग्राम की दर से यह बीज खरीदा। इससे फेडरेशन को तीन लाख 29 हजार रुपये का लाभ हुआ।
इसके बाद द्वितीय चरण में वर्ष 2024 में जल्लू गांव में  9.42 हेक्टेयर भूमि में  59 किसानों के साथ प्रमाणित आलू बीज उत्पादन का कार्यक्रम किया गया। इस चरण में लगभग एक हजार क्विंटल आलू का उत्पादन हुआ। फेडरेशन ने  280 क्विंटल  आलू बीज किसानों से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा। फेडरेशन ने यह बीज उद्यान विभाग को 40 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच दिया। इस चरण में फेडरेशन को लगभग सवा चार लाख रुपये का लाभ हुआ। अब परियोजना के तृतीय चरण में आलू बीज उत्पादन हेतु 150  क्विंवटल आलू बीज बोया गया है।
मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत का कहना है कि जिले में ही प्रमाणिक आलू बीज उपलब्ध होना बड़ी उपलब्धि है। प्रयास है कि पौड़ी जिला आलू बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ ही अन्य जिलों को भी प्रमाणिक बीज उपलब्ध कराये। इसके लिए योजना पर काम चल रहा है।

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