फाटो रेंज की घायल बाघिन ने सिखाया अपने शावकों को शिकार – रामनगर से प्रेरक कहानी
रामनगर (उत्तराखंड सिटी न्यूज़):
मां का प्रेम और समर्पण सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं है — यह वन्यजीवों की दुनिया में भी उतनी ही गहराई से झलकता है। तराई पश्चिम वन प्रभाग के फाटो रेंज की मशहूर बाघिन, जो सैलानियों के बीच काफी लोकप्रिय रही है, अब अपने दो शावकों को शिकार करना सिखा रही है।
तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ पी.सी. आर्या ने बताया कि लगभग 10 वर्षीया इस बाघिन को मई 2025 में पैर में चोट लगी थी। गश्त के दौरान वनकर्मियों ने उसकी लंगड़ाहट देखी और तुरंत निगरानी शुरू की। 3 मई 2025 को वन्यजीव चिकित्सक डॉ. दुश्यंत शर्मा की टीम ने घायल बाघिन को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया।
घायल बाघिन का इलाज ढेला रेस्क्यू सेंटर में किया गया, जहां सप्ताहभर उपचार और निरंतर निगरानी के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई। एसडीओ संदीप गिरी ने पुष्टि की कि उपचार के बाद बाघिन को पुनः जंगल में छोड़ा गया, ताकि वह अपने शावकों से मिल सके।
इस दौरान वन विभाग की टीम ने दोनों शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित की — उन्हें भोजन उपलब्ध कराया गया और कैमरा ट्रैप के माध्यम से लगातार निगरानी रखी गई।
8 मई 2025 को जब बाघिन को छोड़ा गया, तो वह सीधे अपने शावकों के पास पहुंची और कुछ ही दिनों में उन्हें शिकार करना सिखाने लगी। अब फाटो क्षेत्र में आने वाले सैलानी और गाइड्स अक्सर उसे अपने दो शावकों के साथ देखते हैं — कभी साथ शिकार करते हुए, तो कभी उन्हें दूर से देखती हुई।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, जब शावक दो वर्ष के हो जाएंगे, तो वे अपनी मां से अलग होकर स्वतंत्र शिकारी बन जाएंगे — यही जंगल का नियम है।




