उत्तर प्रदेश

(बड़ी खबर) बांधों में रिसाव. आकलन को लेकर आईआईटी रुड़की ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम किया आयोजित ।।

आईआईटी रुड़की ने “बांधों में रिसाव का आकलन एवं प्रबंधन” पर लघु अवधि प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किया

• चार दिवसीय कार्यक्रम रिसाव आकलन एवं बांध सुरक्षा में नवीनतम तकनीकों पर केंद्रित है।
• अग्रणी जल संसाधन संगठनों के विशेषज्ञों ने स्थायी जल अवसंरचना के लिए हाथ मिलाया।
• आईआईटी रुड़की के बांध सुरक्षा प्रशिक्षण में अंतःविषय संवाद एवं तकनीकी नवाचार केंद्र में हैं।

आईआईटी रुड़की, : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने अपने अंतर्राष्ट्रीय बांध उत्कृष्टता केंद्र (आईसीईडी) के माध्यम से 25 से 28 फरवरी, 2025 तक “बांधों में रिसाव का आकलन एवं प्रबंधन” पर एक अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक शुरू किया। प्रोफेसर बृजेश कुमार यादव द्वारा समन्वित चार दिवसीय कार्यक्रम ने व्यावसायिकों, शोधकर्ताओं एवं छात्रों के लिए बांध सुरक्षा एवं रिसाव प्रबंधन में नवीनतम प्रगति पर अंतर्दृष्टि का आदान-प्रदान करने और विचार-विमर्श करने के लिए एक गतिशील मंच के रूप में कार्य किया।

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आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के. पंत ने सतत जल संसाधन प्रबंधन में बांध सुरक्षा के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया और इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं तकनीकी नवाचार के लिए आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। आईसीईडी के प्रमुख प्रोफेसर एम.एल. शर्मा ने बांध सुरक्षा अनुसंधान में अंतःविषय सहयोग की भूमिका पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम जैसी ज्ञान-साझा पहल लचीले और सुरक्षित जल बुनियादी ढांचे के विकास में सहायक हैं। आईसीईडी के संस्थापक प्रमुख प्रोफेसर एन.के. गोयल ने बांध सुरक्षा में निरंतर नवाचार एवं क्षमता निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित किया और रिसाव अनुसंधान एवं प्रबंधन रणनीतियों में आईसीईडी के महत्वपूर्ण योगदान पर विचार किया।

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प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के अध्यक्ष इंजीनियर मनोज त्रिपाठी ने किया। उन्होंने बांध सुरक्षा प्रथाओं को बढ़ाने में ज्ञान साझा करने और तकनीकी चर्चाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षण पाठ्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों के व्यावसायिकों के लिए रिसाव से संबंधित चुनौतियों और समाधानों पर सार्थक बातचीत करने के लिए एक मूल्यवान मंच के रूप में कार्य करेगा।

पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो. बृजेश कुमार यादव ने सीपेज प्रबंधन रणनीतियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी, बांध सुरक्षा एवं पुनर्वास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों को सीपेज मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने में तार्किक सोच और तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया।

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प्रशिक्षण कार्यक्रम में ड्रिप कार्यान्वयन एजेंसियों, राज्य एवं केंद्रीय जल संसाधन विभागों, तथा एनटीपीसी लिमिटेड, एनएचपीसी लिमिटेड, टीएचडीसीआईएल, एसजेवीएनएल, दामोदर वैली कॉर्पोरेशन, केएसईबी, नीपको एवं मेघालय राज्य विद्युत बोर्ड सहित प्रमुख विद्युत क्षेत्र संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले 25 से अधिक प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की।

उद्घाटन सत्र का समापन प्रोफेसर बृजेश कुमार यादव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को सफल बनाने में बहुमूल्य योगदान के लिए प्रतिभागियों, वक्ताओं और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया।


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