
नैनीताल। हाईकोर्ट ने ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों से ही वाहनों की फिटनेस जांच कराए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने अंतरिम आदेश जारी कर अगली तिथि तक याचिकाकर्ताओं को वाहनों की फिटनेस जांच पूर्व की तरह किसी भी अधिकृत फिटनेस सेंटर या ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन से कराने अनुमति दी है।
मामले के अनुसार, देहरादून की दून ऑटो रिक्शा यूनियन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उत्तराखंड परिवहन आयुक्त के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि देहरादून और ऊधमसिंह नगर जिले में वाहनों की फिटनेस जांच के लिए ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इन्हीं सेंटरों के जरिए एक अप्रैल 2025 से वाहनों की फिटनेस जांच करानी अनिवार्य होगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विश्व प्रकाश बहुगुणा ने बताया कि देहरादून आरटीओ कार्यालय स्थित फिटनेस सेंटर को बंद करके 30 से 32 किमी दूर ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में फिटनेस कराना अनिवार्य कर दिया। ऐसे में जिन ऑटो रिक्शा का परमिट 25 किमी तक ही था, उन्हें फिटनेस जांच कराने में दिक्कतें आ रहीं थी। इसी के चलते आदेश को चुनौती दी गई। अधिवक्ता बहुगुणा ने बताया कि बीती 26 मार्च को मामले की सुनवाई हुई। अगली सुनवाई 14 मई को होगी।
