अल्मोड़ा
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद -विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा ने किसानों को कोविड-19 वायरस को लेकर के एडवाइजरी जारी की है संस्था ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिये प्रक्षेत्र कार्य में हर कदम पर सामाजिक दूरी रखना, साबुन से हाथ धोना, चेहरे पर मास्क लगाना तथा व्यक्तिगत स्वच्छता बनाये रखना, इन सभी सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक है। खेत में काम करते समय सभी लोग फेस मास्क लगाये रखें और समय-समय पर साबुन से हाथ धोयें। इसके साथ ही औजारों व मशीनों को उपयोग सेे पहले व उपयोग के बाद सैनिटाइज अवश्य करें।

एडवाइजरी में संस्था ने किसानों से अपने जिले के कृषि कन्ट्रोल रूम से कोविड-19 के बारे में बारे में कथा निकटस्थ कृषि विभाग के कार्यालय से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कोरोना वायरस से बचाव हेतु समय-समय पर निर्गत निदेर्शों का पालन करना होगा जिससे वह बिमारी से ग्रस्त न हो सकें।
कोविद-19 के फैलने के खतरे के बीच पर्वतीय क्षेत्र के कृषकों को निम्नलिखित सलाह दी गई है।

गेहूँ की फसल में जहाँ पर इस समय बाली निकल रही है अथवा जहाँ निकली हुई बालियों में दूध पड़ना प्रारम्भ हो गया है वहाँ पर सिंचाई की थोड़ी बहुत सुविधा उपलब्ध है तो वहाँ पर एक सिंचाई अवश्य कर दें।
जिन क्षेत्रों में गेहूँ, जौ, मटर, सरसों, मसूर आदि फसल पक रही है इनकी कटाई शीघ्र करें ताकि खेतों में दानों को झड़ने से रोका जा सके। गेहूँ की फसल में यदि कुछ बालियों में कालापन दिखाई पड़ें, तब इन कन्डुवाग्रस्त पौधों को सावधानीपूर्वक उखाड़ कर बाहर निकाल दें और किसी गढ्ढे में दबा दें या फिर जलाकर नष्ट कर दें।
गेहूँ में यदि पीला रतुवा रोग दिखायी दे तो प्रोपेकोनेजोल 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। ध्यान रहे अगले वर्ष संस्तुत रोगरोधी किस्मों की बुवाई ही करें।
गेहू के बीजोत्पादन वाले खेतों में रोगिंग कर दें। इस प्रक्रिया में अवांछित पौधों को जड़ सहित उखाड़कर खेत से बाहर निकाल दें और नष्ट कर दें।
जो किसान खरीफ की बुवाई हेतु खेतों की तैयारी कर रहे हैं वे गोबर अथवा कम्पोस्ट की भली प्रकार सड़ी हुई खाद धान्य फसलों में 2 कुन्तल व सब्जियों में 4 से 6 कुन्तल प्रति नाली की दर से प्रयोग करें।

मादिरा की वी.एल. मादिरा 207, विलायती कद्दू की आस्ट्रेलियन ग्रीन इत्यादि, फ्रासबीन की वी.एल. बीन 2, कन्टेन्डर, पंत अनुपमा आदि किस्मों की बुवाई करें। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है वहाँ हरे भुट्टों की बिक्री हेतु मक्का की अगेती संकर किस्मों विवेक संकर मक्का 45 एवं विवेक संकर मक्का 53 व संकुल किस्मों विवेक संकुल मक्का 31 एवं विवेक संकुल मक्का 35 की बुवाई करें। स्वीट काॅर्न व बेबी काॅर्न की खेती करने वाले कृषक सी0एम0वी0एल0 स्वीट काॅर्न 1 एवं सी0एम0वी0एल0 बेबी काॅर्न 2 की बुवाई कर सकते हैं।
टमाटर की सामान्य किस्मों में वी.एल. टमाटर 4, शिमला मिर्च की वी.एल. शिमला मिर्च 3 एंव कैलीफोर्निया वन्डर, बैंगन की पंत सम्राट एवं पंत रितुराज, में से जिसकी भी तैयार पौध उपलब्ध हो, रोपाई करें। बुवाई अथवा रोपण से पूर्व बीजों/पौध को संस्तुत दवाओं से उपचारित करें।
सिंचित अथवा सीमित सिंचाई वाली अवस्था में मिर्च की पौध की रोपाई करें।
उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में मटर की फसल में चूर्णिल आसिता, गेरूई तथा सफेद विगलन रोग का प्रकोप हो सकता है। चूर्णिल आसिता रोग, जिसमें पत्तियों, फलियों व तनों पर सफेद पाउडर जैसी फफूँद दिखाई देती है, की रोकथाम हेतु सल्फेक्स या गन्धक का 0.2 प्रतिशत या डायनोकैप का 0.05 प्रतिशत घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। सफेद विगलन का प्रकोप होने पर जिसमें पौधे के ग्रसित भाग के ऊपर तथा अन्दर काले रंग के गोल दाने बन जाते हैं, की रोकथाम हेतु कार्बेण्डाजिम का 0.1 प्रतिशत घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
प्याज व लहसुन की फसल में बैंगनी धब्बा रोग का प्रकोप होने पर मैंकोजेब का 0.25 प्रतिशत घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
जैविक दशा में पछेती गोभी में गोभी की तितली का प्रकोप होने पर उसकी रोकथाम हेतु नीम के बीज का 5 प्रतिशत या बतैन के बीज का 10 प्रतिशत घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
यदि टमाटर, शिमला मिर्च व बैंगन आदि की पौध पौधशाला में तैयार की जा रही हो और उसमें आर्द्रगलन रोग के लक्षण दिखाई पड़े जिसमें पौध के तने का भाग गलने लगता है तो उसकी रोकथाम हेतु थाइरम 75 डब्ल्यू. एस. या कैप्टान 50 डब्ल्यू. पी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर पौधों की जड़ों के पास जमीन को भली प्रकार तर कर सकते हैं।
आलू, मिर्च, गोभी, बैंगन, कद्दू वर्गीय सब्जियों एवं टमाटर आदि सब्जियों को कटवर्म अथवा कटुआ कीट भारी क्षति पहँुचाता है। इसकी सूड़ियां काले या मटमैले रंग की होती हैं, जो दिन में जमीन में छिपी रहती हैं तथा रात्रि मेें कोमल तनों को खाती है व उसे काट देती हैं। इसका प्रकोप होने पर क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. का 2 मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से पौधों के चारों ओर मिट्टी को भली प्रकार तर कर दें। छायादार वृक्षों के नीचे अदरक, हल्दी व गडेरी, पिनालु, आदि की बुवाई करें। कद्दू, लौकी, खीरा, तोरई व करेला आदि की बुवाई करें।




