अल्मोड़ा

ब्रेकिंग-:(उत्तराखंड)अब वन विभाग का वायरलेस रहेगा लालकुआं रेलवे स्टेशन.वन्यजीवों की गतिविधियों की मिलेगी जानकारी.हाथी के बच्चे की मौत के बाद वन विभाग का फैसला.वन विभाग उठा रहा है अन्य प्रयोगात्मक कदम. तराई केंद्रीय का है मामला।।

लालकुआं: 14 दिसंबर को ट्रेन की चपेट से घायल साढे 3 साल के हाथी के बच्चे ने आखिरकार मौत से हार मान ली, वन विभाग की टीम हालांकि इस हाथी के बच्चे को बचाने के लिए पूरी कोशिश में जुटी थी लेकिन बच्चे की रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट होने के बाद हाथी का फीमेल बच्चा अपने आप को सरबाइप नहीं कर पाया तथा उसने बीती रात्रि दम तोड़ दिया इस घटना के बाद वन विभाग ने मौके पर ही उसके शव का पोस्टमार्टम कर उसे वही दफना दिया है।


गत रविवार की प्रातः को लालकुआं रामपुर रेलखंड के हल्दी रेलवे स्टेशन के समीप टांडा जंगल में ट्रेन की चपेट में आने से हाथी का साढे 3 वर्ष का बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया था, जिसके बाद वाइल्डलाइफ चिकित्सक डॉ आयुष उनियाल, डॉ हिमांशु पांगती और वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ प्रशांत वर्मा के नेतृत्व में चिकित्सा कर्मियों की टीम ने जख्मी हाथी के बच्चे का उपचार शुरू किया , हाथी के बच्चे के पिछले हिस्से में गंभीर चोट लगने के कारण वह उठ नही पाया।
प्रभागीय वनाधिकारी केंद्रीय तराई वन प्रभाग वैभव कुमार ने बताया कि इस घटना के बाद वन विभाग ने रेल गाड़ियों से वन्यजीवों की होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव के प्रयास तेज किए हैं तथा विजिबिलिटी वाली क्षेत्रों में 6 लोगों की टीम लगाई गई है जो हाथी एवं अन्य वन्यजीवों के मूवमेंट पर नजर रखकर वायरलेस सेट के माध्यम से रेल अधिकारियों को सतर्क करेगी जिसके लिए वन विभाग ने एक उच्च फ्रीक्वेंसी वायरलेस सैट को लालकुआं रेलवे स्टेशन पर स्थापित कर दिया है जिस पर रेलवे स्टेशन से ही स्टेशन मास्टर लोको पायलट को हाथी की मोमेंट की जानकारी दे सकेंगे श्री कुमार ने कहा कि विजिबिलिटी वाली क्षेत्रों में रेल पटरियों के किनारे झाड़ी हटाने का कार्य कल से प्रारंभ कर दिया जाएगा तथा हाथी के मूवमेंट वाले क्षेत्र में रैंप बनाने की भी तैयारी की जा रही है यह एक प्रयोगात्मक रूप से वन विभाग प्रयास कर रहा है उन्होंने कहा कि इस घटना का विभाग ने मामला दर्ज कर लिया गया है तथा जांच के बाद ही रेल के लोको पायलट पर कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि घायल हाथी के बच्चे को बचाने के लिए चिकित्सकों द्वारा लगातार हरसंभव प्रयास किया गए, तथा वन विभाग ने ड्रोन की सहायता लेकर हाथी पर बराबर नजर रखी थी तथा दिन और रात्रि में वन विभाग की टीम बच्चे की निगरानी में थी लेकिन छह दिन के संघर्ष के बाद गुरुवार की रात 11:35 बजे हाथी के बच्चे ने दम तोड दिया, वन विभाग द्वारा शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया, जिसके तराई केंद्रीय वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार की मौजूदगी में हाथी के शव को मौके पर ही दफना दिया, इस दौरान एसडीओ शशि देव, वन क्षेत्राधिकारी रूपनारायण गौतम, तराई पूर्वी समेत तमाम वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।

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