ऊखीमठ
बाबा केदार की डोली प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था के बीच आज रवाना हो गई इतिहास में पहली बार लॉक डाउन के कारण पैदल की बजाय वाहन के जरिये गौरीकुण्ड तक बाबा की डोली को पहुंचाया जाएगा ।
हर साल छह माह अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में प्रवास करने के बाद बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली आज प्रातः साढ़े पांच बजे केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गई है।कोविड-19 करोना वायरस संक्रमण के चलते इस डोली को सिर्फ सादे समारोह के बीच केदारनाथ बाबा के धाम तक पहुंचाया जाएगा आज रात्रि को बाबा की डोली विश्राम गौरीकुण्ड और कल पैदल मार्ग के भीमबली में रुकने के बाद 28 अप्रैल सांय को बाबा की डोली केदारनाथ पहुंचेगी और 29 अप्रैल प्रातः छह बजकर दस मिनट पर बाबा केदार के कपाट विधि विधान के साथ खोल दिये जाएंगे। आज मंदिर समिति के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बाबा केदार की चल विग्रह शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह से सभा मंडप में लाया गया। जहां डोली में बाबा केदार की पांच मुख वाली चांदी की मूर्ति को विराजमान किया गया। इसके बाद बाबा केदार की डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा की और बाबा के जयघोष के साथ केदारनाथधाम के लिए रवाना हुई। इतिहास में पहली बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉक डाउन के कारण इस बार बाबा केदार की डोली गौरीकुण्ड तक वाहन से पहुंचेगी। वहां से बाबा की डोली पैदल ही केदारनाथ जायेगी।
अबकी बाबा की डोली के साथ कोई भी वाद्य यंत्र नहीं हैं। पिछले वर्ष तक स्थानीय वाद्य यंत्रों और आर्मी बैंड के साथ बाबा की डोली केदारनाथ जाती थी लेकिन लाॅक डाउन के कारण किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र नहीं हैं। बाबा की डोली ऊखीमठ से ही केदारनाथ पैदल जाती थी लेकिन लाॅकडाउन के कारण इस बार बाबा की डोली वाहन से गौरीकुण्ड तक पहुंचेगी। बाबा की डोली के साथ केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी के अलावा बद्री-केदार मंदिर समिति के सदस्य शामिल थे।