उत्तरकाशी में भालू का आतंक बढ़ा, मल्ला गांव में घर में घुसी मादा भालू दो शावकों के साथ
CCTV में कैद पूरी घटना, ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग पर बढ़ा दबाव
संवाददाता ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह
उत्तरकाशी।
सीमांत जनपद उत्तरकाशी में जंगली जानवरों का खतरा लगातार गंभीर रूप लेता जा रहा है। भटवाड़ी विकासखंड के मल्ला गांव में उस समय हड़कंप मच गया, जब एक मादा भालू अपने दो शावकों के साथ रिहायशी घर में घुस आई। घर में लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी घटना कैद हो गई, जिसका वीडियो अब क्षेत्र में तेजी से वायरल हो रहा है और लोगों में भय का माहौल बना हुआ है।
सीसीटीवी फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि मादा भालू अपने दोनों शावकों के साथ घर के आंगन में घूमती रही। कुछ देर बाद भालू परिवार छत तक पहुंच गया और काफी समय तक घर के आसपास चहलकदमी करता रहा। वीडियो में दोनों शावक आपस में खेलते और झगड़ते नजर आ रहे हैं, जिन्हें मादा भालू बीच-बीच में अलग करती दिखाई देती है। बताया जा रहा है कि भालू भोजन की तलाश में घर में घुसे थे और लंबे समय तक वहीं मौजूद रहे।
घटना के समय घर के अंदर मौजूद लोग डर के कारण बाहर नहीं निकल सके। भालुओं के जंगल की ओर लौटने के बाद ही ग्रामीणों ने राहत की सांस ली, लेकिन इस घटना के बाद पूरे गांव में दहशत व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि बीते कुछ महीनों से क्षेत्र में भालुओं की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं और अब वे सीधे आबादी वाले इलाकों में घुसने लगे हैं।
प्रभागीय वनाधिकारी डीपी बलूनी ने बताया कि मानसून में हुए भूस्खलनों से कई क्षेत्रों में भालुओं के बसेरे क्षतिग्रस्त हुए हैं। मौसम परिवर्तन भी इसका एक बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में पिंजरे लगाए गए हैं और लगातार निगरानी की जा रही है। पंचायत स्तर पर लोगों को सतर्क और जागरूक करने की कार्रवाई भी की जा रही है।
वहीं झाला ग्राम पंचायत के प्रधान अभिषेक रौतेला और वरिष्ठ समाजसेवी दिनेश पंवार ने कहा कि उत्तरकाशी जिले में भालू और तेंदुए का आतंक लगातार बढ़ रहा है। जंगली जानवर अब ऊपरी क्षेत्रों से निचले और घनी आबादी वाले इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग को दीर्घकालिक और ठोस योजना बनानी चाहिए, ताकि जंगलों में ही जंगली जानवरों के लिए पर्याप्त आहार की व्यवस्था हो सके और मानव–वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी आए।
इसके साथ ही ग्रामीणों ने यह भी बताया कि रात के समय बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को लेकर सबसे अधिक भय बना रहता है। कई परिवारों ने एहतियातन शाम ढलते ही घरों के दरवाजे बंद करने शुरू कर दिए हैं, जबकि खेतों और गोठों में जाना भी जोखिम भरा हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो किसी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।
स्थानीय लोगों ने वन विभाग से गांव के आसपास सोलर लाइट, सायरन सिस्टम और त्वरित रेस्पॉन्स टीम की व्यवस्था करने की मांग की है। साथ ही, स्कूल जाने वाले बच्चों और सुबह-शाम कामकाज के लिए बाहर निकलने वाले ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम किए जाने की जरूरत बताई गई है।
प्रशासनिक स्तर पर भी इस घटना के बाद हलचल तेज हो गई है। वन विभाग और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम द्वारा क्षेत्र की स्थिति का आकलन किए जाने की तैयारी की जा रही है। प्रभावित गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जंगली जानवरों से बचाव के उपाय बताए जाने की बात कही गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जंगलों में जल स्रोत, फलदार पौधों और प्राकृतिक आहार की उपलब्धता बढ़ाई जाए, तो जंगली जानवरों का रिहायशी क्षेत्रों की ओर आना काफी हद तक रोका जा सकता है। इसके साथ ही वन क्षेत्रों में मानवीय हस्तक्षेप और अंधाधुंध कटान पर सख्ती से रोक लगाना भी आवश्यक बताया जा रहा है।
फिलहाल मल्ला गांव की यह घटना केवल एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे उत्तरकाशी जनपद में बढ़ते मानव–वन्यजीव संघर्ष की तस्वीर पेश कर रही है। सीसीटीवी में कैद यह दृश्य प्रशासन और वन विभाग के लिए चेतावनी है कि यदि समय रहते प्रभावी और दीर्घकालिक रणनीति नहीं अपनाई गई, तो आने वाले दिनों में हालात और अधिक गंभीर हो सकते हैं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि भालू प्रभावित क्षेत्रों में नियमित गश्त बढ़ाई जाए, रात के समय विशेष सतर्कता बरती जाए और संवेदनशील गांवों में त्वरित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि किसी भी प्रकार की जनहानि की आशंका को रोका जा सके।
सीसीटीवी में कैद यह घटना उत्तरकाशी में बढ़ते मानव–वन्यजीव संघर्ष की गंभीर चेतावनी बनकर सामने आई है, जिस पर प्रशासन और वन विभाग को तत्काल और स्थायी कदम उठाने की जरूरत महसूस की जा रही है।




