बिंदुखत्ता राजस्व गांव मुद्दे पर वनाधिकार समिति का तीखा रुख, शासन के निर्णय पर दर्ज की कड़ी आपत्ति
लालकुआं/बिंदुखत्ता। लंबे समय से राजस्व गांव की मान्यता की प्रतीक्षा कर रहे बिंदुखत्ता क्षेत्रवासियों को शासन के हालिया निर्णय से गहरा आघात लगा है। इस पर वनाधिकार समिति बिंदुखत्ता ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य स्तरीय निगरानी समिति से प्रत्यक्ष सुनवाई की मांग की है।
इंदिरा नगर, बिंदुखत्ता में आयोजित लगभग पांच घंटे लंबी महत्वपूर्ण बैठक में समिति ने उत्तराखंड शासन व जिलाधिकारी नैनीताल पर नियम विरुद्ध निर्णय लेने का गंभीर आरोप लगाया। समिति ने कहा कि दावों की पत्रावली पूर्णतः वैध एवं निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ाई गई थी, बावजूद इसके फाइल को अनावश्यक रूप से लौटाकर प्रक्रिया को बाधित किया जा रहा है।
16 माह तक फाइल लटकी रही, फिर लौटाई गई
बैठक में पदाधिकारियों ने बताया कि वनाधिकार समिति द्वारा तैयार संयुक्त दावों की फाइल को क्रमशः खंड स्तरीय, जिला स्तरीय और शासन स्तर पर भेजा गया था, लेकिन शासन ने 16 माह तक लंबित रखने के बाद पत्रावली वापस जिला समिति को भेज दी। इसके बाद जिलाधिकारी द्वारा आपत्तियां लगाकर फाइल पुनः खंड स्तरीय समिति को लौटा दी गई।
प्रतिनिधियों ने इस कार्रवाई को “बिंदुखत्ता वासियों के साथ सीधा धोखा” करार देते हुए कहा कि निर्णय लेने से पहले वनाधिकार समिति का पक्ष सुना जाना अनिवार्य है। इसी उद्देश्य से राज्य स्तरीय निगरानी समिति को पत्र भेजकर सुनवाई तक आपत्तियों के निस्तारण रोकने की मांग की गई है।
बैठक में उठे प्रमुख मुद्दे
- बिंदुखत्ता को राजस्व गांव घोषित करने की मांग दोहराई गई
- शासन एवं जिलाधिकारी पर नियम विरुद्ध निर्णय लेने का आरोप
- वनाधिकार समिति के पक्ष को सुनवाई से पहले ना सुना जाना अनुचित
- राज्य स्तरीय निगरानी समिति से प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की मांग
बैठक के प्रमुख उपस्थितजन
बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी भगवान धामी ने की, संचालन दीपक जोशी द्वारा किया गया। इस दौरान समिति के सचिव भुवन भट्ट, आर.सी. पुरोहित, रमेश देवराड़ी, भुवन शर्मा, दीपक नेगी, बलवंत सम्मल, प्रमोद कालोनी, कमल जोशी, नंदन बोरा, इन्द्र सिंह पनेरी, पंकज कोरंगा, दीपक सुयाल, बसन्त पाण्डेय, हरेंद्र रौतेला, प्रताप कोश्यारी, विक्रम सिंह और आनंद सिजवाली सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
समिति ने कहा
“पत्रावली पूरी तरह वैध है, फिर भी बेवजह आपत्तियां लगाकर प्रक्रिया रोकी जा रही है। यह बिंदुखत्ता के लोगों के अधिकारों के साथ अन्याय है।”




