(पंतनगर)गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि के अंतिम वर्ष के छात्र चित्रांश देवलियाल ने नई दिल्ली में आयोजित बिमस्टेक शिखर सम्मेलन में भारत का प्रभावशाली प्रतिनिधित्व किया। 19 से 24 फरवरी तक आयोजित इस सम्मेलन में बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। चित्रांश ने स्वावलंबी कृषि के लिए पारंपरिक ज्ञान को पुनर्जीवित करने का सुझाव दिया, जिससे सतत कृषि, मिट्टी के स्वास्थ्य, जैव विविधता और जलवायु-सहिष्णु कृषि को बढ़ावा मिले। उनके विचारों ने बिमस्टेक देशों की पारंपरिक कृषि पद्धतियों के महत्व को रेखांकित किया। उनके प्रस्ताव को सभी सात देशों द्वारा अंतिम संयुक्त बयान में स्वीकार किया गया, जिसे किसानों के सशक्तिकरण और क्षेत्रीय खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। समारोह के समापन में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व मौजूद थे। चित्रांश की इस उपलब्धि ने पारंपरिक कृषि पद्धतियों को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
