
देहरादून
चमोली के राजकीय इंटर कॉलेज ग्वाड़ के सहायक अध्यापक (गणित) एलएम सती को शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के कार्यक्रम में उनके व्यवहार के लिए शिक्षा विभाग द्वारा कारण बताओ नोटिस दिए जाने से सरकारी शिक्षकों में नाराजगी पनप रही है।
अपर निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) कंचन देवराड़ी ने अपने नोटिस में सती को 19 मई तक जवाब देने को कहा है।
चमोली के देवलधार के ग्वाड़ स्थित जीआईसी में शनिवार को वार्षिक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मंत्री रावत, स्थानीय विधायक, शिक्षा विभाग के अधिकारी, शिक्षक और छात्र शामिल हुए। कार्यक्रम में सती ने मंत्री के संबोधन को बीच में ही रोककर शिक्षकों की पदोन्नति का मुद्दा उठाया। सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे एक वीडियो में मंत्री सती को धैर्यपूर्वक सुनते नजर आ रहे हैं। यहां तक कि जब विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने सती से अपना भाषण बंद करने को कहा, तो उन्होंने उन्हें भी कार्यक्रम से दूर रहने को कहा।
विभाग ने जहां सती के व्यवहार को कर्मचारी आचरण नियमावली के विपरीत बताया है, वहीं शिक्षक उनका समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि विभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया बंद हो गई है और पिछले कुछ सालों में हजारों शिक्षक बिना एक भी पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त हो गए हैं। देहरादून जिले में तैनात एक वरिष्ठ शिक्षक ने कहा, ‘विभाग में मल्टीपल एंट्री की व्यवस्था है। इसके साथ ही विभाग की ओर से की गई गलतियों के कारण पदोन्नति में असमानताएं सामने आई हैं, जिसके कारण कुछ शिक्षकों ने इस मामले को कोर्ट में ले जाया था। इसके अलावा विभाग द्वारा भर्ती परीक्षा के जरिए प्रधानाध्यापकों के 50 फीसदी पदों पर भर्ती करने के प्रयास का भी विभिन्न क्षेत्रों से विरोध हुआ, जिसके कारण सरकार को प्रक्रिया रोकनी पड़ी। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि वर्तमान में राज्य में प्रधानाध्यापकों और प्रधानाचार्यों के अधिकांश पद रिक्त हैं और शिक्षक पदोन्नति पाए बिना ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। यह न्याय में देरी का मतलब न्याय से वंचित होना है। हम विभाग से अनुरोध करते हैं कि वह सती के खिलाफ कोई कार्रवाई न करे और पदोन्नति की प्रक्रिया में कानूनी पेच को दूर करे।’
राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा कि चमोली में हुई घटना को कुछ लोगों ने अनावश्यक तूल दिया और सोशल मीडिया पर प्रसारित किया। शिक्षा मंत्री ने शिक्षिका को बोलने की अनुमति दी। चौहान ने कहा कि सती ने जो कुछ कहा, उसे भावनात्मक रूप से बहकावा और हताशा ही कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि विभाग में प्रधानाचार्यों के 1,150 और प्रधानाध्यापकों के 850 पद रिक्त हैं और पदोन्नति की प्रक्रिया 2017 से रुकी हुई है
