उत्तराखण्ड

(बड़ी खबर) कोसी नदी ऊफान पर. रेलवे कोसी पुल 104 पर लगा वाटर लेबल मॉनिटरिंग सिस्टम एक्टिव. रेलवे कर रहा है मॉनिटरिंग ।।

Lalkuan -: Uttrakhand city news- उत्तराखंड में लगातार भारी बरसात का दौर प्रारंभ है लगातार एक हफ्ते से हो रही भारी बरसात के बीच नदी नाले ऊफान पर है इन सब के बीच पूर्वोत्तर रेलवे के हल्द्वानी.काठगोदाम. तथा काशीपुर रेलवे स्टेशन से संचालित होने वाली एक्सप्रेस ट्रेन भी हर वर्ष नदियों के ऊफान पर आने के चलते प्रभावित होती रहती थी लेकिन इस बार रेल प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं।
Uttarakhand city news सुरक्षित एवं संरक्षित ट्रेन संचालन रेलवे की पहली प्राथमिकता है, इसे सुदृढ़ करने के लिए सतत् सुधार एवं आधुनिक तकनीकी का समावेश के प्रयास लगातार रेलवे कर रहा है। बरसात के इस मौसम में महत्वपूर्ण पुलों पर नदियों का जलस्तर मापने के लिए इज्जतनगर मंडल की अधिकांश नदियों पर बने पुलों पर वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाये गये हैं। इस सिस्टम से जलस्तर की जानकारी आटोमेटेड एस.एम.एस. के माध्यम से सम्बन्धित अधिकारी को प्राप्त होती है।
मानसून के दौरान नदियों के जलस्तर की निगरानी हेतु पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न खण्डों पर स्थित 18 महत्वपूर्ण पुलों पर वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाये गये हैं, जिसमें काशीपुर-लालकुऑ के मध्य पुल संख्या-104 पर स्थापित वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम ने काम करना प्रारंभ कर दिया है। काशीपुर रेल खंड के टी आई अनिल कुमार सिंह ने बताया कि आज उन्होंने स्वयं लालकुआं से काशीपुर तक नदियों पर बने पुलों का निरीक्षण किया तथा कोसी नदी के 104 नंबर के पुल पर लगे वाटर मॉनिटरिंग सिस्टम सही तरीके से काम कर रहा है शाम को रामनगर बैराज से कोसी नदी में 10570 क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा गया है लेकिन इसके बावजूद भी नदी का जलस्तर अभी सामान्य से नीचे चल रहा है।
आधुनिक वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम के लग जाने से नदियों पर बने रेल पुलों पर वाटर लेवल की सूचना मिलना आसान हो गया है। इस सिस्टम में सोलर पैनल से जुड़ा एक सेंसर होता है, जिसमें एक चिप भी लगी होती है। यह सेंसर ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा होता है। प्रतिदिन नियमित अंतराल पर नदियों के जलस्तर की जानकारी सबंधित सहायक मंडल इंजीनियर, सेक्शन इंजीनियर/कार्य एवं सेक्शन इंजीनियर/रेलपथ के मोबाइल नंबर पर एस.एम.एस. के माध्यम से मिल जाती है। फलस्वरूप समय से नदी के जल स्तर की सूचना मिलने पर त्वरित कार्यवाही कर रेलपथ को संरक्षित करना आसान हो जाता है।

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