उत्तराखण्ड पुलिस ने साइबर अपराध के लिए मानव तस्करी करने वाले एजेंट को किया गिरफ्तार
देहरादून/रुद्रपुर,
उत्तराखण्ड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने साइबर अपराध के लिए मानव तस्करी में संलिप्त एक एजेंट को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई पुलिस महानिरीक्षक (साइबर क्राइम/एसटीएफ) श्री नीलेश आनन्द भरणे के दिशा-निर्देशन तथा सहायक पुलिस अधीक्षक श्री कुश मिश्रा (आईपीएस) के नेतृत्व में की गई।
भारत सरकार द्वारा हाल ही में म्यांमार (बर्मा) के के0के0 पार्क शहर, मायावड्डी से विभिन्न राज्यों के युवाओं को छुड़ाया गया, जिन्हें रोजगार के नाम पर वहां ले जाकर साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया गया था। इनमें से 21 युवक उत्तराखण्ड के निवासी पाए गए, जिन्हें साइबर क्राइम पुलिस एसटीएफ उत्तराखण्ड की टीम ने I4C सेंटर, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से सुरक्षित वापस लाकर परिजनों के सुपुर्द किया।
जांच में सामने आया कि युवकों को रोजगार का झांसा देकर दिल्ली से बैंकॉक (थाईलैंड) भेजा गया, और फिर वहां से अवैध रूप से जंगलों व नदियों के रास्ते म्यांमार के के0के0 पार्क ले जाया गया। वहां उन्हें “साइबर दास” बनाकर जबरन कॉलिंग और अन्य साइबर अपराधों में लगाया गया।
साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कुमाऊं परिक्षेत्र रुद्रपुर के निरीक्षक श्री अरुण कुमार की टीम ने पूछताछ के दौरान दो एजेंटों की पहचान की, जो जनपद उधम सिंह नगर से युवकों को विदेश भेज रहे थे। इन्हीं में से एक एजेंट को आज 13 नवम्बर 2025 को गिरफ्तार किया गया। उसके खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई जारी है।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री नवनीत सिंह ने कहा कि विदेश में नौकरी पाने के इच्छुक युवकों को पहले नौकरी से जुड़ी पूरी जानकारी की जांच करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे फर्जी एजेंटों के बहकावे में आकर कोई भी विदेश न जाए और यदि किसी संदिग्ध एजेंट की जानकारी मिले तो तुरंत स्थानीय पुलिस या एसटीएफ को सूचित करें।




